घाटा संभालना आ गया तो किला फतेह!

शेयर बाजार के ट्रेडरों की कामयाबी दर क्या है, यह उन्हें तो गिनना ही चाहिए, हमारी पूंजी बाजार नियामक सेबी को भी इसका हिसाब-किताब रखना चाहिए। तभी हम पतंगों की तरह इंट्रा-डे की तरफ उमड़े लाखों व्यक्तिगत ट्रेडरों को सही व व्यावहारिक वित्तीय शिक्षा दे सकते हैं। यूरोप में तो बाकायदा नियम है। इसके तहत सभी ऑनलाइन ब्रोकरों को घोषित करना पड़ता है कि उनके क्लाएंट या ग्राहकों की कामयाबी दर कितनी रही है? आप जानकर चौंक जाएंगे कि तकरीबन सभी यूरोपीय ब्रोकरेज़ फर्मों में, चाहे उनका टर्नओवर या क्लाएंट आधार कितना भी हो, यह दर 20% से ज्यादा नहीं रहती। आखिर 80% नाकामी की दर के बावजूद वहां का यह उद्योग कैसे चल और फल-फूल रहा है? इसलिए कि उसे घाटे को संभालना आता है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…

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