शब्दों से परे की सोच!! जब शब्द नहीं था, सिर्फ नाद था, ध्वनियां थीं, तब भी तो इंसान सोचता ही रहा होगा। शब्दों के बिना ज़रा सोचकर देखें कि उस वक्त इंसान कैसे सोचता रहा होगा। बड़ा मज़ा आएगा।
2010-06-08
शब्दों से परे की सोच!! जब शब्द नहीं था, सिर्फ नाद था, ध्वनियां थीं, तब भी तो इंसान सोचता ही रहा होगा। शब्दों के बिना ज़रा सोचकर देखें कि उस वक्त इंसान कैसे सोचता रहा होगा। बड़ा मज़ा आएगा।
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आप को लेंठड़ा (केंकड़ा) शृंखला पर लिखने के लिए निमंत्रित कर रहा हूँ । इस लेख में आप ने जो बात उठाई उसी से निमंत्रण देने की प्रेरणा मिली। इस मुद्दे पर इस अधूरी शृंखला के ये लेख देखिए:
http://girijeshrao.blogspot.com/2009/12/blog-post.html
http://girijeshrao.blogspot.com/2009/12/blog-post_21.html
सोंच तो सब सकते हैं .. शब्दों के बाद अभिव्यक्ति आसान हो गयी है !!
ऐसा माना जाता है की इस सृष्टि की उत्पत्ति नाद से हुई है .शब्द बहुत बाद में आए . शब्द भाषा का परिचायक है . भाषा का विकास बाद में हुआ .
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