विचार आग से निकली चिनगारियों की तरह हैं। उड़ते हैं, मिट जाते हैं। पकड़कर नहीं रख सके तो क्या पछतावा! जरूरी यह है कि जिस आग से वो निकली है, उसे बचाकर रखा जाए। वो सलामत रही तो विचार शब्द बदल-बदलकर आते ही रहेंगे।
2012-04-24
विचार आग से निकली चिनगारियों की तरह हैं। उड़ते हैं, मिट जाते हैं। पकड़कर नहीं रख सके तो क्या पछतावा! जरूरी यह है कि जिस आग से वो निकली है, उसे बचाकर रखा जाए। वो सलामत रही तो विचार शब्द बदल-बदलकर आते ही रहेंगे।
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