अगर आप नौकरीपेशा है और टीडीएस के जरिए आपका टैक्स कट चुका है तो टैक्स रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2010 का आपके लिए कोई मतलब नहीं है। आप आराम से अपना टैक्स रिटर्न 31 मार्च 2011 तक भर सकते हैं। यहां तक कि आप 31 मार्च 2012 तक भी टैक्स रिटर्न भरें तो आप पर कोई पेनाल्टी नहीं लगेगी। इसके बाद जरूर लगेगी। लेकिन 31 जुलाई के बाद रिटर्न भरने पर आप हाउसिंग लोन के अलावा किसी किस्म का नुकसान क्लेम नहीं कर सकते। जैसे, मान लीजिए कि शेयरों में किए गए निवेश पर कोई नुकसान हो गया तो उसे आप अपनी कर-योग्य आय से नहीं घटा सकते।
अगर बीते वित्त वर्ष के लिए आप पर कुछ आयकर बकाया है या वेल्थ टैक्स देना है तो उस पर भी एक फीसदी प्रति माह के हिसाब से ब्याज लगेगा। अगर आपने ऐसी सूरत में 31 जुलाई तक रिटर्न नहीं भरा है तो आयकर विभाग आपको नोटिस भेज सकता है और आयकर अधिकारी की सनक हुई तो वह आप पर पेनाल्टी भी लगा सकता है। 31 जुलाई का महत्व ऐसी ही स्थितियों के लिए है। नौकरीपेशा करदाता के लिए इसकी कोई खास अहमियत नहीं है। इसलिए अब इस तारीख को आगे खिसकाने का सिलसिला भी धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है।