क्रॉम्प्टन ग्रीव्स बहुत बदल चुकी है। खासकर पिछले पांच सालों में वह नया कलेवर पकड़ती जा रही है। 1937 में बनी थापर समूह की यह कंपनी साठ के दशक तक मोटर, ट्रांसफॉर्मर, स्विचगियर, सर्किट ब्रेकर और बिजली से जुड़े तमाम उपभोक्ता सामान बनाती थी। अब वह दुनिया की मशहूर इंजीनियरिंग कंपनियों में गिनी जाती है। पहले सिर्फ भारत में थी। अब इसका मैन्यूफैक्चरिंग आधार बेल्जियम, कनाडा, हंगरी, इंडोनेशिया, आयरलैंड, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका तक पहुंच गया है।औरऔर भी

साल 2010 पब्लिक इश्यू से जुटाई गई राशि के मामले में भारतीय कॉरपोरेट जगत में नया इतिहास बनाकर विदा हो रहा है। लेकिन नया साल 2011 इसको भी मात देने को तैयार दिख रहा है। कैलेंडर वर्ष 2010 में भारतीय कॉरपोरेट जगत ने पब्लिक इश्यू के जरिए 59,523 करोड़ रुपए जुटाए हैं। लेकिन कैलेंडर वर्ष 2011 में अगर सेबी के पास दाखिल निजी कंपनियों के प्रॉस्पेक्टस और सरकारी कंपनियों के विनिवेश को आधार बनाएं तो पब्लिक इश्यूऔरऔर भी

जगन्नाधम तुनगुंटला अंग्रेजी में एक वाक्य चलता है कि देयर इज नो ऑल्टरनेटिव यानी टीआईएनओ जिसे लोग टिना कहने लगे हैं। इस समय दुनिया में अमेरिका का वर्चस्व खत्म हो रहा है। लेकिन चूंकि कोई विकल्प नहीं है, इसलिए अमेरिका को सिर पर बैठाए रखने की मजबूरी है। साल 2008 में कंपनियां दीवालियां हुईं। अब देश डिफॉल्ट करने लगे हैं। सिलसिला आइसलैंड से शुरू हुआ, फिर दुबई से होता हुआ ग्रीस जा पहुंचा। फिर पुर्तगाल, आइसलैंड, ग्रीसऔरऔर भी