महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह का हिस्सा बन चुकी महिंद्रा सत्यम तीन साल पुराने उस दाग को पूरी तरह निकाल देने में लगी है, जब उसका नाम सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज हुआ करता था और उसके मूल प्रवर्तक रामालिंगा राजू ने कंपनी के खातों में करीब 14,000 करोड़ रुपए की गड़बड़ी की थी। राजू ने 7 जनवरी 2009 को किए गए खुलासे में खातों में करीब 7800 करोड़ के घपले की बात मानी थी। लेकिन बाद में यह रकमऔरऔर भी

सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज में करोड़ों रुपए के घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने गवाहों की संख्या घटाकर 220 कर दी है, जबकि चार्जशीट में उसने 690 गवाहों का उल्लेख किया था। असल में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद जांच प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सीबीआई ने गवाहों की संख्या घटाई है। सीबीआई के डीआईजी लक्ष्मी नारायण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक, चार्जशीट के दावों को मजबूत करनेवाले तथ्यों से जुड़ेऔरऔर भी

महिंदा सत्यम का शुद्ध लाभ चालू वित्त 2010-11 की दिसंबर में समाप्त तिमाही 79.10 करोड़ रुपए रहा है। यह सितंबर तिमाही के शुद्ध लाभ 28.50 करोड़ रुपए से 177.54 फीसदी ज्यादा है। दिसंबर तिमाही में अकेले आधार पर कंपनी की आय 1193.5 करोड़ रुपए रही है जो सितंबर तिमाही की आय 1150.80 करोड़ रुपए की आय से 3.71 फीसदी अधिक है। बता दें कि महिंद्रा समूह के अधीन आने के बाद कंपनी लगातार आगे बढ़ रही है।औरऔर भी

सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज (अभी की महिंद्रा सत्यम) के खातों में 7136 करोड़ रुपए की भयंकर घपलेबाजी जब हुई थी, तब उसके ऑडिट का काम अंतरराष्ट्रीय स्तर की फर्म प्राइस वॉटरहाउस देख रही थी। देश के कॉरपोरेट जगत को हिला देनेवाले इस घोटाले में पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने प्राइस वॉटरहाउस के खिलाफ पहला कारण बताओ नोटिस 14 फरवरी 2009 को जारी किया था और मामले की सुनवाई 30 मार्च 2010 को शुरू हुई थी। लेकिन प्राइसऔरऔर भी

सत्यम कंप्यूटर्स के बदनाम घोटाले में आंध्र प्रदेश सरकार की भी भूमिका रही है। यह बात भारतीय महालेखाकार (सीएजी) की ताजा रिपोर्ट में कही गई है। रिपोर्ट राज्य विधानसभा में पेश की जा चुकी है। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि राज्य सरकार ने कंपनी को विशाखापटनम के नजदीक 42.5 एकड़ जमीन महज 10 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से दी थी। जहां इस जमीन की कीमत 170 करोड़ रुपए बनती है, वहीं सरकार नेऔरऔर भी