खरीफ फसल के दौरान 2011-12 (अक्‍तूबर-सितम्‍बर) में चावल की सरकारी खरीद का आंकड़ा एक करोड़ टन का निशान पार कर गया है। खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार 17 नवम्‍बर, बुधवार तक चालू खरीफ सीजन के दौरान विभिन्‍न सरकारी एजेंसियों ने 1,01,04,088 टन चावल की खरीद की। इस मामले में पंजाब सबसे आगे है जहां 76,04,255 टन चावल खरीदा गया। 19,30,703 टन चावल खरीदने के साथ हरियाणा दूसरे नम्‍बर पर है। तीसराऔरऔर भी

प्रधानमंत्री से लेकर वित्त मंत्री तक भले ही लघु उद्योग (एमएसएमई) क्षेत्र का गुणगान करते रहते हैं। लेकिन कड़वी सच्चाई यह है कि सरकार अपनी सालाना 1,70,000 करोड़ रुपए की खरीद में से महज 4.5 फीसदी एमएसएमई क्षेत्र से खरीदती है। ऐसी हालत में सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय ने जोर दिया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को अपनी जरूरत की कम से कम 20 फीसदी खरीद लघु व मझोली इकाइयों से करनी चाहिए।औरऔर भी

देश की तमाम ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों में सालाना खरीद के टेंडरों में भयंकर पक्षपात व धांधली होती है। यहां तक कि अफसरों व बाबुओ ने तमाम फर्जी कंपनियां बना रखी हैं जिनके नाम ही ज्यादातर टेंडर जारी किए जाते हैं। इन अफसरान की मेज के दराज में ही कंपनियों के लेटरहेड पड़े रहते हैं और वे बिना किसी शर्म के एक ही अंदाज में कई कंपनियों की तरफ से टेंडर भर देते हैं। यह बात ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों मेंऔरऔर भी

सरकार ने पिछले वर्ष अक्तूबर से लेकर अभी तक 298.1 लाख टन चावल की खरीद की है जो पूर्व वर्ष की समान अवधि में की गई खरीद के मुकाबले छह फीसदी कम है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और अन्य सरकारी एजेंसियों ने एक वर्ष पहले की समान अवधि में 315,7 लाख टन चावल की खरीद की थी। चावल की खरीद में गिरावट का कारण 2009-10 केऔरऔर भी

पंजाब में इस बार गेहूं की बंपर फसल हुई है। इसी अप्रैल माह के पहले हफ्ते से गेहूं की नई फसल मंडियों में आनी शुरू हो जाएगी। उम्मीद है कि इस बार वहां गेहूं का उत्पादन कम से कम 157 लाख टन रहेगा, वह भी तब जब इस बार 35.21 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती हुई है, जो पिछले साल के बुवाई रकबे 35.38 लाख हेक्टेयर से 17,000 हेक्टेयर कम है। ताजा हालात यह हैं किऔरऔर भी