जिंदगी में हमेशा बच्चे रहे। जुबान के हमेशा कच्चे रहे। सोच में हमेशा लुच्चे रहे। हर किसी को अपने आगे टुच्चा समझते रहे। ऐसे में दुनिया क्या खाक सधेगी? अपने में ही डूबे रहे और जमाने को देखा-भाला नहीं तो वह भाव दे भी तो भला कैसे!और भीऔर भी

मूल्य वो है जो कंपनी के कर्मों से बनता है और भाव वो है जो लोग उसे देते हैं। खरीदने-बेचने वाली शक्तियों के असल संतुलन से ही निकलता है भाव। हो सकता है कि कंपनी बहुत अच्छा काम कर रही हो। उसका धंधा बढ़ रहा हो। लाभप्रदता भी बढ़ रही हो। फिर भी बाजार के लोगों में उसके शेयरों को खरीदने की दिलचस्पी न हो तो उसका भाव दबा ही रहेगा। आप कहेंगे कि अच्छी चीज़ कोऔरऔर भी

मेहनत के बिना कहीं आसमान से कुछ नहीं टपकता। हां, जानवर या मशीन जैसे काम के दाम कम हैं। पर पढ़-लिखकर इंसानी हुनर के माफिक काम करेंगे तो दाम भी ज्यादा मिलेंगे। सीधी-सी बात है।और भीऔर भी

जब हम जवान होते हैं तो छोटी सी छोटी बात पर मरने पर उतारू हो जाते हैं। बूढ़े होते जाते हैं तो बड़ी सी बड़ी बात होने पर भी जीते रहना चाहते हैं। उम्र इफरात तो कोई भाव नहीं! उम्र कम तो इतना मूल्य!!और भीऔर भी

हम कोई सामान खरीदने जाते हैं, पूरी तहकीकात करते हैं। कई दुकानों पर पूछते हैं। रिश्तेदारों व पड़ोसियों तक से पूछ डालते हैं। लेकिन शेयरों में निवेश हम झोंक में करते हैं। टिप्स की तलाश में लगे रहते हैं। हमारी इसी मानसिकता का फायदा उठाने के लिए इन दिनों तमाम वेबसाइटों से लेकर एसएमएस तक से टिप्स भेजे जाने लगे हैं। इधर फंडामेंटल्स मजबूती की बात उठने लगी तो कुछ एसएमएस फंडामेंटल बताकर ही निवेश की सलाहऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने आईपीओ में शेयरों के दाम अधिक रखने पर चिंता जताई है। सेबी के चेयरमैन सी बी भावे में शुक्रवार को मुंबई में मर्चेंट बैंकिंग उद्योग पर आयोजित एक समारोह में कहा कि इनवेस्टमेंट बैंकरों को आपसी होड़ में पब्लिक इश्यू में जारी शेयरों के दाम बढ़ाने के बजाय निवेशकों के हितों का भी ख्याल रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब बहुत सारे इश्यू आ रहे हों और बाजार अच्छा हो तोऔरऔर भी