न कचरा, न एंटीक
पुरानी निर्जीव चीजें समय बीतने के साथ या तो कचरा बन जाती है या एंटीक बनकर सजावटी हो जाती हैं। लेकिन ज्ञान का सजीव प्रवाह धूमिल भले ही पड़ जाए, कभी कचरा या एंटीक नहीं बन सकता।और भीऔर भी
पुरानी निर्जीव चीजें समय बीतने के साथ या तो कचरा बन जाती है या एंटीक बनकर सजावटी हो जाती हैं। लेकिन ज्ञान का सजीव प्रवाह धूमिल भले ही पड़ जाए, कभी कचरा या एंटीक नहीं बन सकता।और भीऔर भी
जैसी कि उम्मीद थी, बाजार ने कल 5420 पर पहुंचने के बाद यू-टर्न लिया और आज 5490 तक चलता चला गया। हालांकि इसके बाद वो गिरना शुरू हो गया क्योंकि मंदड़िए अपना करतब दिखाने लगे। वे निफ्टी को 5432 तक गिरा ले गए। लेकिन बाजार उसके बाद उठा तो उठता ही जा रहा है। 5500 के ऊपर वो पहुंच चुका है। दिक्कत यह है कि इस वक्त ज्यादातर ट्रेडर व निवेशक के मन में यह बात घरऔरऔर भी
भग्न पृष्ठ कटि ग्रीवा, बद्ध दृष्टिः अधोमुखी। कष्टेन लिखितम् शास्त्रम्, यत्नेन परिपालय। बड़ी मेहनत व कष्ट से हासिल होता है ज्ञान। इसका मूल्य समझना चाहिए। बड़े यत्न से संभालना चाहिए।और भीऔर भी
एक दिन में महल नहीं बनते। एक दिन में क्रांतियां नहीं होतीं। एक दिन में कोई ज्ञानवंत नहीं बनता। एक दिन में जितना मिला, वही अपना है। जो छूट गया, उसे फिर पकड़ लेंगे। उसको लेकर पछताना क्या?और भीऔर भी
अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को मार क्या गिराया, तमाम जिंसों के दाम धड़ाम-धड़ाम गिरने लगे। चांदी पर निचला सर्किट लग गया। एक हफ्ते में चांदी पर लगा यह दूसरा निचला स्रर्किट है। यह संकेत है इसके भावी हश्र का। इस पर मार्जिन भी अब काफी बढ़ा दिया गया है। इससे इसमें और गिरावट आएगी और यह 60,000 प्रति किलो के नीचे जा सकती है। फिलहाल कारोबारियों में इसमें निचले स्तर पर खरीद की चर्चाएं चल पड़ीऔरऔर भी
जीने की चाह में मरे जा रहे हैं। अस्सी साल, नब्बे साल, सौ साल। इत्ता जीकर क्या करोगे बापू? असली सुख तो पाया नहीं! जाना ही नहीं कि हमारे अंदर-बाहर जो भी हो रहा है, वो हो क्यों रहा है असल में।और भीऔर भी
दुनिया में ऐसा कुछ नहीं जो किसी न किसी को पता न हो या उसे जानने की कोशिश न चल रही हो। सबको सब पता रहे, जरूरी नहीं। लेकिन ज़िंदगी का दायरा जितना बड़ा हो, उतना तो जानना जरूरी है।और भीऔर भी
दिमाग की धमनभठ्ठी को धधकने दें। विचारों की आंधी को धौंकनी बना दें और आग्रहों-पूर्वाग्रहों के खर-पतवार को ईंधन। रक्ताभ ज्वाला में फिर निखरेगा कुंदन, शांत व सम्यक ज्ञान का कुंदन।और भीऔर भी
बजट में नए आर्थिक सुधारों के बारे में प्रधानमंत्री के दावे ने बाजार पर अपना असर दिखा दिया। यह वो मूलाधार है जिस पर सारे देश और निवेशक समुदाय को पूरा यकीन होना चाहिए। इस हकीकत के मद्देनजर बाजार को पहले तो गिरकर 5200 तक जाना ही नहीं चाहिए था। लेकिन ऐसा हुआ तो उसकी वजह चालबाजी या जोड़तोड़ है और, बाजार में जोड़-तोड़ की कोई काट तो है नहीं। मंदड़ियों का कार्टेल अकेले दम पर बाजारऔरऔर भी
विद्या विनय देती हो या नहीं, लेकिन ज्ञान जरूर मुक्त करता है। पर ज्ञान व मुक्ति के अलग-अलग स्तर हैं। जो जितना मुक्त है, उतना संपन्न है। वैसे हर संपन्न व्यक्ति का मुक्त होना जरूरी नहीं।और भीऔर भी
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