रिजर्व बैंक ग्राहक सेवाओं को लेकर बैंकों के प्रति अपना रुख कड़ा करनेवाला है। बहुत संभावना है कि सेबी के पूर्व चेयरमैन एम दामोदरन की अध्यक्षता में बैंकों की ग्राहक सेवाओं पर गठित समिति हफ्ते भर बाद 15 फरवरी को अपनी रिपोर्ट रिजर्व बैंक को सौंप देगी। वैसे, यह रिपोर्ट के आने में करीब दो हफ्ते की देर हो चुकी है क्योंकि रिजर्व बैंक ने 2 नवंबर 2010 को मौद्रिक नीति की दूसरी त्रैमासिक समीक्षा में कहाऔरऔर भी

देश के सारे गांवों को साल 2015 तक मोबाइल बैंकों से जोड़ देने की योजना है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के सी चक्रबर्ती के मुताबिक अगले पांच सालों में हर गांववासी को वित्तीय सेवाओं के दायरे में शामिल कर लिया जाएगा। उन्होंने रविवार को वाराणसी में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान यह जानकारी दी। बता दें कि अभी देश की वयस्क आबादी के केवल 40 फीसदी हिस्से तक बैंकिंग सेवाएं पहुंच सकी हैं। श्री चक्रबर्ती नेऔरऔर भी

मई महीने में थोक मूल्य पर आधारित मुद्रास्फीति की दर भले ही 10.16 फीसदी हो गई हो। खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति 5 जून को बीते हफ्ते में 16.74 फीसदी से थोड़ा घटने के बावजूद भले ही 16.12 फीसदी पर हो। लेकिन मुद्रास्फीति के इस तरह दहाई अंकों में रहने की स्थिति को रिजर्व बैंक बहुत चौंकानेवाली बात नहीं मानता है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गर्वनर के सी चक्रबर्ती ने गुरुवार को मुंबई में आयोजित एक समारोह मेंऔरऔर भी

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ. डी सुब्बाराव का मानना है कि देश में बैंकिंग का कारोबार हिंदी या भारतीय भाषाओं के बिना नहीं किया जा सकता। उन्होंने बुधवार को 2008-09 के लिए रिजर्व बैंक राजभाषा शील्ड पुरस्कार वितरण समारोह में यह बात कही। उनका कहना था कि हम ग्राहकों तक उनकी अपनी भाषा में ही बात करके बेहतर बैंकिंग सेवाएं पहुंचा सकते हैं और हिंदी आम आदमी तक पहुंचने में बड़ी भूमिका निभा सकती है। उन्होंनेऔरऔर भी

देश में 9 राज्य को-ऑपरेटिव बैंक और 191 केंद्रीय को-ऑपरेटिव बैंक अभी भी बिना लाइसेंस के चल रहे हैं। चौंकानेवाली बात यह है कि दशकों से भारी संख्या में ऐसी सहकारिता संस्थान बगैर किसी बैंकिंग लाइसेंस के चलते रहे हैं। लेकिन वित्तीय क्षेत्र आकलन समिति ने सिफारिश की थी कि 2012 के बाद किसी भी को-ऑपरेटिव बैंक को बगैर लाइसेंस लिए काम न करने दिया जाए। इसी के बाद रिजर्व बैंक ने तय किया कि वह उनऔरऔर भी