शेयर तो गिरते-उठते रहते हैं। गिरते हुए बाजार में भी तमाम शेयर बढ़ जाते हैं और बढ़ते हुए बाजार में भी कई शेयर गिर जाते हैं। जैसे, कल एनएसई निफ्टी में 38.40 अंकों की गिरावट आई, लेकिन 447 शेयरों में बढ़त दर्ज की गई। इसी तरह बीएसई सेंसेक्स में 97.76 अंकों की गिरावट के बावजूद 1184 शेयर बढ़ गए। इसलिए सूचकांकों के उठने-गिरने के चक्कर में पड़ने के बजाय यह समझना ज्यादा काम का होता है किऔरऔर भी

बाजार में करेक्शन या गिरावट को लेकर और भी डराने वाली रिपोर्टें जारी की जा रही हैं। ऐसे में पहले से डरे हुए ट्रेडर और निवेशक डिलीवरी आधारित सौदों से बचने लगे हैं और बाजार में शॉर्ट करने के मौके तलाश रहे हैं। लेकिन यह सब रोलओवर की तकलीफ है जिसे हमें झेलना ही पड़ेगा। इसी माहौल में मंदडियों के हमलों के तमाम सिद्धांत फैलाए जा रहे हैं। लेकिन नया सेटलमेंट शुरू होते ही ये सारे सिद्धांतऔरऔर भी

चीन अब जापान को पछाड़कर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और विश्व बैंक, गोल्डमैन सैक्स व दूसरी प्रमुख वित्तीय संस्थाओं के आकलन पर यकीन करें तो वह 2025 तक अमेरिका को नंबर-1 के पायदान से हटा देगा। इससे पहले चीन साल 2005 में ब्रिटेन व फ्रांस और 2007 में जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बना था। चीन इस समय दुनिया के समृद्ध व उभरते देशों के समूह जी-20औरऔर भी

जगन्नाधम तुनगुंटला अंग्रेजी में एक वाक्य चलता है कि देयर इज नो ऑल्टरनेटिव यानी टीआईएनओ जिसे लोग टिना कहने लगे हैं। इस समय दुनिया में अमेरिका का वर्चस्व खत्म हो रहा है। लेकिन चूंकि कोई विकल्प नहीं है, इसलिए अमेरिका को सिर पर बैठाए रखने की मजबूरी है। साल 2008 में कंपनियां दीवालियां हुईं। अब देश डिफॉल्ट करने लगे हैं। सिलसिला आइसलैंड से शुरू हुआ, फिर दुबई से होता हुआ ग्रीस जा पहुंचा। फिर पुर्तगाल, आइसलैंड, ग्रीसऔरऔर भी