सुप्रीम कोर्ट ने यूलिप विवाद पर पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी द्वारा दायर याचिका पर विचार करने के बाद केंद्र सरकार और 14 जीवन बीमा कंपनियों को औपचारिक नोटिस जारी कर दिया है। कोर्ट में इस मामले पर आज एकदम थोड़ी देर के लिए सुनवाई हुई। यह सुनवाई जस्टिस सरोश होमी कपाडिया की अध्यक्षता वाली खंडपीठ कर रही है। बता दें कि कल सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि इस विवादऔरऔर भी

अब यह किसी अटकल या सूत्रों के हवाले मिली खबर की बात नहीं है। यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी (यूलिप) की गड़बड़ियों और उस पर अधिकार पर साफ-सफाई के लिए पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गई है। भारत के एटॉर्नी जनरल जी ई वाहनवती के कार्यालय ने इसकी पुष्टि कर दी है और यह भी कहा है कि सेबी की याचिका पर सुनवाई खुद देश के चीफ जस्टिस के जी बालाकृष्णन की अध्यक्षता वालीऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी की तरफ से 14 जीवन बीमा कंपनियों को कोई भी नया यूलिप प्लान लाने से रोक दिए जाने के बावजूद न तो बीमा क्षेत्र के नियामक आईआरडीए और न ही निजी बीमा कंपनियों में कोई खलबली मची है। आईआरडीए के आला अफसर छुट्टी मना रहे हैं। जीवन बीमा कंपनियों के साझा मंच लाइफ इंश्योरेंस काउंसिल की तरफ से उसके प्रमुख एस बी माथुर ने इतना भर कहा है कि मौजूदा यूलिपधारकों कोऔरऔर भी

हमारी पूंजी बाजार नियामक संस्था, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) लगता है मनबढ़ हो गई है। अभी वित्त मंत्रालय की मध्यस्थता में यूलिप (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी) पर बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए से हुई सहमति को एक दिन भी नहीं बीते हैं कि उनसे 9 अप्रैल के विवादास्पद आदेश से ही नया पंगा निकाल दिया है। उसका कहना है कि जिन 14 जीवन बीमा कंपनियों को उसने यूलिप के लिए सेबी में पंजीकरण जरूरी करने कीऔरऔर भी

इस समय यूलिप जैसे नए-नए बीमा उत्पादों में जिस-जिस तरह के शुल्क होते हैं, जैसी गणनाएं होती हैं, जिस तरह का बेनिफिट चार्ट पॉलिसी बेचने से पहले ग्राहक को समझाना प़ड़ता है, उससे ये इतने जटिल हो गए हैं कि गणित के अच्छे-खासे ग्रेजुएट के लिए भी इन्हें बेच पाना मुश्किल है। लेकिन इस समय देश में इन्हें हाईस्कूल से इंटर पास लोग तक बेच सकते हैं और बेच रहे हैं। कहने को बीमा एजेंट बनने केऔरऔर भी

आप किसी भी जीवन बीमा कंपनी से कोई भी यूलिप पॉलिसी खरीदिए चाहे बच्चों के लिए, चाहे अपने बुढ़ापे की पेंशन के लिए, उसके दस्तावेज में सबसे ऊपर लिखा रहता है कि ‘इस पॉलिसी के अंतर्गत निवेश पोर्टपोलियो में निवेश का सारा जोखिम पॉलिसीधारक का है।’ यूलिप में प्रीमियम का तकरीबन 98 हिस्सा इक्विटी या ऋण प्रपत्रों में लगाया जाता है। यही वजह है कि 2008 में शेयर बाजार में गिरावट के बाद यूलिप में पॉलिसीधारकों काऔरऔर भी

पूंजी बाजार की नियामक संस्था सेबी और बीमा क्षेत्र की नियामक संस्था आईआरडीए में अपने हलके को लेकर तलवारें खिंच चुकी हैं। अभी तक आईआरडीए को यकीन था कि जीवन बीमा कंपनियों की तरफ से जारी बीमा कवर व निवेश पर फायदे का लाभ देनेवाले यूलिप (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान) पर केवल उसी का नियंत्रण चलेगा। लेकिन शुक्रवार को देर शाम सेबी ने आदेश सुना दिया कि कोई भी बीमा कंपनी बिना उससे रजिस्ट्रेशन लिए न तोऔरऔर भी

यह किसी आम आदमी का नहीं, बल्कि हिंदुस्तान टाइम्स समूह के बिजनेस अखबार मिंट के डिप्टी एडिटर स्तर के खास आदमी का मामला है। उनका नाम क्या है, इसे जानने का कोई फायदा नहीं। लेकिन उनके साथ घटा वाकया जानने से बीमा उद्योग का ऐसा व्यावहारिक सच हमारे सामने आता है जो साबित करता है कि इस उद्योग में निहित स्वार्थों का ऐसा नेक्सस बना हुआ है जिसका मकसद बीमा उद्योग या कंपनी का विकास नहीं, बल्किऔरऔर भी