रिजर्व बैंक गवर्नर दुव्वरि सुब्बाराव का कहना है कि वे यह कयासबाजी नहीं कर सकते कि ब्याज दरों में कटौती कब की जाएगी। उन्होंने मुंबई में शुक्रवार को मौद्रिक नीति की मध्य-त्रैमासिक समीक्षा जारी होने के बाद इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) के एक कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमने मुद्रास्फीति की स्थिति और आर्थिक वृद्धि में नरमी पर गौर किया। रिजर्व बैंक ने मार्च 2010 केऔरऔर भी

ऑडिट क्षेत्र की नियामक संस्था, आईसीएआई (इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया) ने लवलॉक एवं लेवेस के दो चार्टर्ड अकाउन्टेंटों पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया है और करीब 14,000 करोड़ रुपए के सत्यम घोटाले में उनकी भूमिका को देखते हुए दोनों पर पांच-पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। आईसीएआई ने एक बयान में कहा, “आईसीएआई की अनुशासन समिति ने जांच में लवलॉक एवं लेविस के चार्टर्ड अकाउंटेंट पुलावर्ती शिव प्रसाद और चिंतापटला रवींद्रनाथ कोऔरऔर भी

एकाउंटिंग क्षेत्र की नियामक संस्था आईसीएआई (इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ इंडिया) ने एक सलाहकार समिति का गठन किया है जो कंपनियों को सामाजिक क्षेत्र की परियोजनाओं की पहचान करने में मदद करेगी जिन पर वे साल भर में अपने शुद्ध लाभ का दो फीसदी खर्च कर सकती हैं। बता दें कि कंपनियों को अपने शुद्ध मुनाफे का दो फीसदी कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) गतिविधियों पर खर्च करना होता है। आईसीएआई के नवनियुक्त अध्यक्ष जी रामास्वामी नेऔरऔर भी

अनिल अंबानी समूह (एडीएजी) ने अपनी कंपनियों पर हुए हमले को देश के इंफ्रास्ट्रक्चर पर हुआ हमला बताया है। उसका कहना है कि पिछले दो हफ्ते से जिस तरह मंदड़ियों के गैर-कानूनी कार्टेल ने बाजार पर चोट की है, उससे देश के इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को तीन लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। समूह की तरफ से उसके प्रबंध निदेशक गौतम दोशी ने कहा कि समूह की कंपनियों के शेयर मंदड़ियों की खेमेबंदी के शिकार हुए हैं।औरऔर भी

देश में सक्रिय दुनिया की चार ऑडिट फर्में ऐसे-ऐसे काम भी कर रही हैं जिनकी उन्हें इजाजत नहीं दी गई है। यह कहना है देश में एकाउंटिंग व ऑडिटिंग की नियामक संस्था आईसीएई (इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंटट्स ऑफ इंडिया) की एक शीर्ष समिति का। आईसीएआई के पूर्व अध्यक्ष उत्तम प्रकाश अग्रवाल की अगुआई में बनी इस समिति का कहना है कि प्राइस वॉटरहाउस कूपर्स, केपीएमजी, अर्न्स्ट एंड एंग और डेलॉइटे को देश में कंसलटेंसी सेवाएं देने कीऔरऔर भी

शेयर बाजारों में लिस्टेड या सूचीबद्ध कंपनियों को अब हर छह महीने पर बताना होगा कि उनकी आस्तियों और देनदारियों (एसेट व लायबिलिटीज) की स्थिति क्या है। यह जानकारी उन्हें अपने छमाही नतीजों में अलग से एक नोट में देनी होगी। सभी स्टॉक एक्सचेजों के नाम आज जारी किए गए एक सर्कुलर में पूंजी बाजार नियामक संस्था, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने यह फैसला सुनाया है। सेबी ने स्पष्ट किया है कि हर छमाही बीतने केऔरऔर भी