मैं एक, दूसरे अनेक
2012-02-01
रेत में सिर डालकर शुतुरमुर्ग की तरह जीने व शिकार हो जाने का क्या फायदा! इस दुनिया में अनगिनत शक्तियां सक्रिय हैं। यहां ‘एक मैं और दूजा कोई नहीं’ की सोच नहीं चलती। यह सरासर गलत है।और भीऔर भी
रेत में सिर डालकर शुतुरमुर्ग की तरह जीने व शिकार हो जाने का क्या फायदा! इस दुनिया में अनगिनत शक्तियां सक्रिय हैं। यहां ‘एक मैं और दूजा कोई नहीं’ की सोच नहीं चलती। यह सरासर गलत है।और भीऔर भी
इस सृष्टि में अनंत अदृश्य शक्तियां सक्रिय हैं। वे इच्छाधारी हैं और खुद को जितना चाहें, उतना गुना कर सकती हैं। आहट मिलते ही वे मनोयोग व लगन से काम में लगे लोगों की मदद को दौड़ पड़ती हैं।और भीऔर भी
जब भी हम नया कुछ रचते हैं, रुके हुए सोते बहने लगते हैं, अंदर से ऐसी शक्तियां निकल आती हैं जिनका हमें आभास तक नहीं होता। इसलिए काम शुरू कर देना चाहिए, काबिलियत अपने-आप आ जाएगी।और भीऔर भी
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