भारत युवाओं का देश, जहां की 65 फीसदी आबादी 35 साल के नीचे की है। इस युवा देश की नई पीढी खुली और तेजी से बढती अर्थव्यवस्था के साथ जवान हुई है। इसी माहौल में पला-बढ़ा हमारा नया निवेशक भी देश की अर्थव्यवस्था में भागीदारी करता है। पर ज्यादातर कामयाब नहीं हो पाता। कारण वित्तीय जानकारी या साक्षरता का अभाव। सब कुछ बदल चुका है या बदलाव पर है। सोच से लेकर दिनचर्या, नियामक से लेकर नियम,औरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने स्वास्थ्य और शिक्षा में किए गए निवेश को भी इंफ्रास्ट्रक्चर में शामिल करने का एलान किया है। इससे पहले 28 फरवरी को पेश बजट में वे कोल्ड स्टोरेज चेन और उर्वरक उद्योग में किए गए पूंजी निवेश को इंफ्रास्ट्रकर में शामिल करने की पेशकश कर चुके हैं। शुक्रवार को लोकसभा में बजट 2011-12 पर हुई बहस का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा, “स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माणऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी देश में वित्तीय शिक्षा और निवेश का हुनर सिखाने के लिए व्यापक अभियान शुरू करने जा रही है। शुरुआत वह देश के पश्चिमी भाग से करेगी। इसके लिए वह निवेश व वित्तीय शिक्षा में पारंगत 40 लोगों का चयन कर चुकी है जिन्हें उसने रिसोर्स परसन (आरपी) का नाम दिया है। इनमें से कई मान्यता प्राप्त फाइनेंशियल प्लानर हैं और महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश व गोवा में रहते हैं। सेबी कीऔरऔर भी

हमारे देश के अधिकांश लोगों की तरह ही हैं दयाकृष्ण जोशी। किस्मत में भरोसा करते हैं। कहते हैं – अरे यार, भविष्य की क्या चिंता करना? जो होगा देखा जाएगा। एक आईटी कंपनी में कार्यरत जोशी का सोचना सही भी है। भारी वेतन। सुखी परिवार। स्नेहिल बीवी, दो प्यारे-प्यारे बच्चे – 8 साल की लडक़ी व 6 साल का लडक़ा। बच्चों के भविष्य हेतु: लेकिन पिछले साल एक हादसे में अपने 30 साल के एक रिश्तेदार कीऔरऔर भी

सुधाकर राम संगीतकार को संगीत रचना चाहिए, कलाकार को कलाकृति बनानी चाहिए, कवि को लिखना ही चाहिए, अगर उसे आत्मसंतोष व अंदर की शांति हासिल करनी है। आप जो काम सबसे अच्छा कर सकते हैं, आपको वही करना चाहिए: अब्राहम मास्लो हमारे बीच बहस चल रही थी, लेकिन तर्क-वितर्क वैसे ही थे जैसे आपके अपने किसी दोस्त के साथ हो सकते हैं। मेरा दोस्त एक जबरदस्त इंसान है जिसने अपनी जिंदगी तमिलनाडु में सरकारी स्कूल के बच्चोंऔरऔर भी