eye of the butterfly

यही कोई दोपहर बाद की बेला थी। तितली रानी दो घंटे से कमरे में फंसी हुई थी। लंबी-लंबी कांच की खिड़कियों से उसे रोशनी नजर आती तो बाहर निकलने के लिए वहीं से भागने की कोशिश करती। उसमें नरम, मुलायम, नाजुक पंख पारदर्शी कांच से टकराते और वो नहीं निकल पाती। पूरी मेहनत करती। पंख पूरे ज़ोर से चलाती। लेकिन हर बार वही हश्र क्योंकि जिसे वह खुला द्वार समझ रही थी, बाहर छिटकी हरियाली तक पहुंचनेऔरऔर भी

इकनॉनिक टाइम्स एकमात्र दिल्ली से छपनेवाला अपना हिंदी संस्करण बंद करने जा रहा है। आज, गुरुवार को उसकी टीम आखिरी बार अखबार का काम करेगी और कल शुक्रवार को उसका आखिरी अंक आएगा। फिर पटाक्षेप। तीन साल दस महीने दस दिन पहले 19 फरवरी 2008 को जब यह अखबार शुरू हुआ था तो प्रबंधन की तरफ से बड़े-बड़े वादे किए गए थे। हिंदी समाज को भी इससे बड़ी अपेक्षाएं थीं। लेकिन कम से कम लागत में ज्यादाऔरऔर भी

एक बार फिर मैंने बाजार को जबरदस्त निराशा के आगोश में डूबा हुआ देखा। इतनी निराशा कि लोगों को केवल घाटी दिख रही है, ठीक वहीं से उठता पहाड़ नहीं दिख रहा। माना कि वैश्विक मसलों ने भारतीय बाजार को घेर रखा है और सेंसेक्स को 16,000 तक गिरा डाला है। लेकिन यह ऐसा स्तर है जहां से बहुतों को भारतीय शेयरों में कायदे का मूल्य नजर आ रहा है। यही वजह है कि आज निफ्टी मेंऔरऔर भी

बाजार अब सीधे मंगलवार को खुलेगा। अनिश्चितता का आलम है। ट्रेडरों ने ज्यादातर सौदे शुक्रवार को ही काट लिये क्योंकि उन्हें डर है कि मंगलवार को जब बाजार खुलेगा, तब तक अमेरिका व यूरोप के संकट का कोई नया पेंच न सामने आ जाए। सब कुछ शॉर्ट टर्म हो गया है। खबरों पर बाजार और अलग-अलग स्टॉक्स की गति निर्भर है। लेकिन शेयर बाजार सबसे बड़ा पेंच यह है कि अक्सर खबर के सार्वजनिक होने तक उसका असरऔरऔर भी

पिछले कुछ दिनों से देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के खिलाफ आ रही खबरों पर शुक्रवार को तब विराम लग गया जब बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) के चेयरमैन जे हरिनारायण ने उसे क्लीनचिट दे दी। कह दिया कि एलआईसी ने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया है और पहले 14,000 करोड़ रुपए की कमी की जो बात कही गई थी, वह असल में मौजूदा बीमांकन अनुमान की तुलना में बताईऔरऔर भी