नई पीढ़ी या अमेरिका-यूरोप के लोग फास्टफूड के पीछे भागें तो समझ में आता है। लेकिन हमें भी सब कुछ पकापकाया पाने की चाहत लग गई है। हम भूल जाते हैं कि ये न तो कोई राजा-महाराजों का जमाना है और न ही हम कोई धन्नासेठ हैं कि जिसे भी चाहें, सेवा में लगाकर अपना काम करवा सकते हैं। अपनी बचत को संभालकर निवेश करने की कला हमें खुद ही सीखनी व विकसित करनी होगी। दूसरा कोईऔरऔर भी

अनिल अग्रवाल के वेदांता समूह की कंपनी स्टरलाइट इंडस्ट्रीज का शेयर गिरता ही चला जा रहा है। इस साल जनवरी में 195.90 रुपए पर था। अभी 151 रुपए पर है, साल भर पहले 25 अगस्त 2010 को हासिल न्यूनतम स्तर 149 रुपए के करीब। जो रुझान है उसमें हो सकता है कि नया न्यूनतम स्तर ही बन जाए। किया क्या जाए? जिनके पास हैं, वे क्या करें और जिनके पास नहीं हैं, वे क्या करें। कंपनी यकीननऔरऔर भी

लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) एक ऐसे रहस्यमय ट्रेडर का नाम-पता ढूंढने में लगा हुआ है जिसने उसके गोदामों में जमा कुल 3,55,750 मीट्रिक टन तांबे में से कम से कम 1,77,875 मीट्रिक टन माल खरीद लिया है। यह मात्रा एलएमई के गोदामों में रखे कुल तांबे की 50 फीसदी है। वॉल स्ट्रीट जनरल की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह मात्रा इससे अधिक भी हो सकती है। इसकी कुल कीमत लगभग 150 करोड़ डॉलर बताई जा रही है।औरऔर भी