जो दिखता है, वह सच नहीं और जो सच है, वह तब तक नहीं दिखता जब तक कोई घोटाला न जाए। सच की ऐसी परदादारी देख किसी का भी विश्वास टूट सकता है। सोचिए, मार्च 2019 के अंत तक पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक का सकल एनपीए 3.76 प्रतिशत और शुद्ध एनपीए 2.19 प्रतिशत रहा था, जबकि इसी दौरान देश से सबसे बड़े बैंक एसबीआई का सकल एनपीए 7.53 प्रतिशत और शुद्ध एनपीए 3.01 प्रतिशत था।औरऔर भी

आप ऐसे ट्रेडर तो नहीं जो खुद का नुकसान करने पर आमादा है? ट्रेडिंग से हुए फायदे-नुकसान का ग्राफ बनाएं। अगर कुल मिलाकर ग्राफ का रुख ऊपर है तो आप सही जा रहे हैं। अन्यथा, तय मानिए कि आप बाज़ार की चाल नहीं पकड़ पा रहे और अपना ही नुकसान करने की फितरत के शिकार हैं। गहराई से सोचिए और अपने नज़रिए की पड़ताल कीजिए। इस बीच सौदों का साइज़ फौरन घटा दीजिए। अब रुख बाज़ार का…औरऔर भी

देश की फैक्ट्रियों, खदानों और बिजली जैसी सेवाओं में कैसा कामकाज हुआ, इसे दर्शानेवाला औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) नवंबर महीने में साल भर पहले की अपेक्षा 5.9 फीसदी बढ़ गया है। यह किसी भी अर्थशास्त्री के अनुमान से अधिक है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने इस बाबत 32 अर्थशास्त्रियों के बीच रायशुमारी कराई थी, जिनका न्यूनतम अनुमान 4 फीसदी घटने से लेकर अधिकतम 5.6 फीसदी बढ़ने का था। इनका औसत अनुमान 2.2 फीसदी का था। बता दें किऔरऔर भी

सिन्टेक्स इंडस्ट्रीज का नाम है। पानी की टंकी की बात सोचें तो सिन्टेक्स का ही नाम आता है। हालांकि वह टंकी के अलावा भी बहुत कुछ बनाती है। रेटिंग एजेंसी केयर ने चार महीने पहले सितंबर में फंडामेंडल्स के आधार पर उसे पांच में चार का ग्रेड दिया था, यानी मूलभूत रूप से बहुत मजबूत कंपनी। शेयर (बीएसई – 502742, एनएसई – SINTEX) तब 362 रुपए पर था और केयर ने कहा था कि उसका अंतर्निहित मूल्यऔरऔर भी

देश में सरकारी प्रतिभूतियों (बांडों) का बाजार पूरी तरह बनावटी है और सही अर्थों में यह बाजार है ही नहीं। यह कहना क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के संस्थापक चेयरमैन डॉ. आर एच पाटिल का। डॉ. पाटिल देश में ऋण बाजार के पुरोधा माने जाते हैं। कॉरपोरेट ऋण पर उनकी अध्यक्षता में बनी समिति दिसंबर 2005 में अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को सौंप चुकी है जिसकी सिफारिशों पर अमल की बात बराबर रिजर्व बैंक व सेबी की तरफऔरऔर भी