देश की फैक्ट्रियों, खदानों और बिजली जैसी सेवाओं में कैसा कामकाज हुआ, इसे दर्शानेवाला औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) नवंबर महीने में साल भर पहले की अपेक्षा 5.9 फीसदी बढ़ गया है। यह किसी भी अर्थशास्त्री के अनुमान से अधिक है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने इस बाबत 32 अर्थशास्त्रियों के बीच रायशुमारी कराई थी, जिनका न्यूनतम अनुमान 4 फीसदी घटने से लेकर अधिकतम 5.6 फीसदी बढ़ने का था। इनका औसत अनुमान 2.2 फीसदी का था।
बता दें कि इससे ठीक पिछले महीने अक्टूबर में आईआईपी बढ़ने के बजाय 5.1 फीसदी घट गया था। इसका संशोधित आंकड़ा 4.7 फीसदी का है। ताजा आंकड़ों के जारी होने के बाद वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि यह अक्टूबर में 4.7 फीसदी की गिरावट के बाद ठोस सुधार को दिखाता है। हालांकि पूंजीगत वस्तुओं की विकास दर अब भी ऋणात्मक में 4.6 फीसदी बनी हुई है। फिर भी उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में 13 फीसदी से ज्यादा वृद्धि मजबूत सुधार का सबूत है। इसमें भी गैर-टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की विकास दर टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की अपेक्षा ज्यादा है।
बता दें कि नवंबर में उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन सूचकांक 13.1 फीसदी फीसदी बढ़ा है। इसमें भी गैर-टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की विकास दर 14.8 फीसदी और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की विकास दर 11.2 फीसदी है। वित्त मंत्री का कहना है कि अच्छी खबर यह है कि बिजली क्षेत्र में इस साल अप्रैल से नवंबर के दौरान 9.5 फीसदी विकास हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह दर 4.5 फीसदी थी। अकेले नवंबर माह में बिजली क्षेत्र का उत्पादन सूचकांक 14.6 फीसदी बढ़ा है।
हमारे शेयर बाजार के प्रतीक सेंसेक्स व निफ्टी में भले ही आज (गुरुवार) क्रमशः 0.86 फीसदी व 0.61 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई हो, लेकिन आईआईपी के ताजा आंकड़ों ने माहौल में हल्का-सा उत्साह जरूर घोल दिया है। इससे पहले पिछले हफ्ते खाद्य मुद्रास्फीति के ऋणात्मक होने ने भी सुखद संकेत दिया था। अब सारी निगाहें रिजर्व बैंक पर टिक गई हैं कि वह 24 जनवरी को मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही समीक्षा में क्या करता है। वैसे, उससे पहले अगले हफ्ते सोमवार, 16 जनवरी को आनेवाले सकल मुद्रास्फीति के आंकड़े भी माहौल को और खुशगवार बना सकते हैं।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री, मदन सबनवीस का कहना है, “मुझे लगता है कि रिजर्व बैंक को औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों से थोड़ी तसल्ली हो जाएगी क्योंकि ये दिखाते हैं कि विकास में ढुलमुलपन तो है, मगर यह अब ऋणात्मक नहीं है। यह हमारे केंद्रीय बैंक को यह भी इजाजत देता है कि वह मुद्रास्फीति पर अपना ध्यान लगाए रहे।” सबनवीस को लगता है कि अप्रैल से पहले रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति को ढीला नहीं छोड़ेगा। दूसरे शब्दों में, ब्याज दर नहीं घटाएगा।