शुक्रवार को शेयर बाजार में मिड कैप व स्मॉल कैप कंपनियों को तगड़ा झटका लगा। यूं तो सेंसेक्स व निफ्टी में क्रमशः 0.55 फीसदी और 0.59 फीसदी की ही गिरावट आई है, लेकिन 137 मिड व स्मॉल कैप कंपनियों के शेयर अब तक के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गए, जबकि 343 कंपनियों पर निचला सर्किट ब्रेकर लगा। अगर ये सर्किट ब्रेकर न होते तो न जाने उनमें कितनी गिरावट आ जाती। बाजार के कारोबारियों का कहना हैऔरऔर भी

कभी सोचा है आपने कि केवल भारतीय ट्रेडरों और निवेशकों को ही इतनी ज्यादा वोलैटिलिटी, इतना भयंकर झंझावात क्यों झेलना पड़ता है? क्या आपने कभी सुना है कि अमेरिका का डाउ जोन्स सूचकांक लेहमान संकट व डाउनग्रेड जैसे विशेष हालात के अलावा सामान्य स्थिति में कभी दो दिन के अंदर 5% ऊपर-नीचे हुआ हो? लेकिन भारत में हर तीन महीने पर ऐसा होता है। बाजार को 5% का फटका लगता है, निवेशकों की दौलत में भारी सेंधऔरऔर भी

निफ्टी में 5330 या सेंसेक्स में 17,770 को हमने बाजार का बॉटम बताया था। सेंसेक्स दो दिन पहले 25 मई को 17,786 तक गिरने के बाद 17,847 पर बंद हुआ था। आज, शुक्रवार को सेंसेक्स पलटकर उस स्तर से 419 अंक ऊपर जाकर 18,266 पर पहुंच गया। अब हम दावे के साथ कह सकते हैं कि बाजार अपनी तलहटी पकड़ने के बाद ऊपर उठ रहा है। अब 4800 या 5000 की अफवाहों को हमें इस सेटलमेंट केऔरऔर भी

वोल्टैम्प ट्रांसफॉर्मर्स लिमिटेड (बीएसई – 532757, एनएसई – VOLTAMP) नाम के अनुरूप बिजली के ट्रांसफॉर्मर बनाती है, अलग-अलग तरह के। 1967 से इसी काम में लगी है। वडोदरा (गुजरात) में उसकी फैक्टरी है। जर्मनी की दो कंपनियों मोरा और एचटीटी के साथ उसका तकनीकी गठबंधन है। कंपनी सरकारी व अर्ध-सरकारी परियोजनाओं, राज्य बिजली बोर्डों, रिफाइनरी, उर्वरक संयंत्र, फार्मा, स्टील, कागज व सीमेंट जैसे उद्योगों को अपने उत्पाद बेचती है। एबीबी, सीमेंस व एल एंड टी जैसी इंजीनियरिंगऔरऔर भी

ईसाब इंडिया ने अपना कामकाज 1987 से शुरू किया। लेकिन इसकी कहानी 1904 में स्वीडन के शहर गोथेनबर्ग से तब शुरू हुई थी जब जहाजों व बॉयलरों पर काम कर रहे एक इंजीनियर ऑस्कर केलबर्ग ने पाया कि वहां रिपेयर के काम की क्वालिटी अच्छी नहीं है। बेहतर टेक्नोलॉजी की तलाश में केलबर्ग ने दुनिया के पहले कवर्ड इलेक्ट्रोड का आविष्कार कर डाला। वहीं से पैदा हुआ ईसाब (Elektriska Svetsnings Aktie Bolaget या ESAB) समूह जो इसऔरऔर भी

बाजार जब तलहटी पर पहुंचा हो तब अच्छे स्टॉक्स के चयन के लिए ज्यादा मगजमारी या रिसर्च की जरूरत नहीं होती। नजर डालें कि कौन-कौन से शेयर अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंचे हैं। देखें कि वह कंपनी कितनी जानी पहचानी है, थोड़ा-सा उसका धंधा-पानी देख लें और दांव लगा दें। कल अनिल अंबानी समूह की दो प्रमुख कंपनियां रिलायंस कैपिटल और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर 52 हफ्ते के न्यूनतर स्तर पर पहुंच गईं। इनमें से रिलायंस कैपिटल में निवेशऔरऔर भी

यूं तो मिस्र से भारत का कोई सीधा लेनादेना नहीं है, लेकिन मिस्र में उठे राजनीतिक तूफान ने पहले से हैरान-परेशान हमारे शेयर बाजार की हवा और बिगाड़ दी है। वैसे भी जब बुरा दौर चल रहा हो, तब मामूली-सी बुरी खबर भी बिगड़ी सूरत को बदतर बनाने के लिए काफी होती है। सेंसेक्स आखिरकार आज नीचे में 18,038.48 तक चला गया। हालांकि बाद में सुधरकर 18327.76 पर बंद हुआ। भारतीय बाजार को पसंद करनेवाले किसी भीऔरऔर भी