शहर अजीब संख्याओं का
2010-05-09
शिरीष खरे ‘‘मैं शांति और हंसी-खुशी यहां से नहीं जा सकती। यहां से जो तूफान उठा है, उसे यहीं छोड़कर नहीं जा सकती। इस शहर ने मुझे दर्द और परेशानियों से भरे जो लंबे-लंबे दिनरात दिए हैं, उनकी शिकायत किए बगैर, मैं यहां से कैसे जा सकती हूं?’’ मुंबई में ऐनी के दिनरात अब गिने जा रहे हैं। बहुत जल्द ही वह इस शहर को नमस्कार कहकर अपने देश फिनलैंड लौट जाएंगी। मगर जाने के पहले, उन्हेंऔरऔर भी