केंद्र सरकार ने कल बुधवार को ही सभी मंत्रालयों को बोलचाल की हिंदी इस्तेमाल करने के लिए लंबा-चौड़ा सर्कुलर जारी किया है। इसमें बताया गया है, “यह काफी नहीं है कि लिखने वाला अपनी बात खुद समझ सके कि उसने क्‍या लिखा है। जरूरी तो यह है कि पढ़ने वाले को समझ में आ जाए कि लिखने वाला कहना क्‍या चाहता है।” लेकिन हकीकत में हमारे बाबू लोग इतना गोलगपाड़ा करते हैं कि किसी के कुछ समझऔरऔर भी

केवल विज्ञान ही निरेपक्ष और व्यापक समाज के हित में है। बाकी महान से महान विचार भी निरपेक्ष नहीं होते। उसमें किसी का हित तो किसी का अहित होता है। यह दिखता नहीं, पर देखना जरूरी है।और भीऔर भी

यहां सब लौकिक है, पारलौकिक कुछ नहीं। हम जिन प्रभावों की वजह देख नहीं पाते, दूसरे उसे पारलौकिक बताकर अपना लौकिक हित साधते हैं। वैसे भी पारलौकिक की सत्ता बराबर सिकुड़ती जा रही है।और भीऔर भी

बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) पॉलिसीधारकों के हितों से जुड़े नियमों में बदलाव की तैयारी में जुट गया है। इस सिलसिले में उसने नए संशोधित नियमों का प्रारूप पिछले महीने की 18 तारीख को जारी किया था, जिस पर सभी संबंधित पक्षों से 5 जुलाई तक प्रतिक्रिया व सुझाव मांगे गए थे। अब सारे सुझावों के मिल जाने के बाद इरडा की कोशिश है कि नए नियमों को जल्दी से जल्दी कानूनी स्वरूप दे दिया जाए। हालांकिऔरऔर भी