एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस अब स्वास्थ्य बीमा के धंधे में भी उतर गई है। कंपनी ने हॉस्पिटल कैश स्कीम पेश की है जिसमें पालिसीधारकों को अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान प्रतिदिन एक निश्चित भत्ता मिलेगा। एसबीआई लाइफ की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हास्पिटल कैश योजना पालिसीधारकों को अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान उनकी कुल बचत को निकालने से बचाती है। अस्पताल का बिल कितना भी हो, पर इस योजना के तहतऔरऔर भी

एक जानी-मानी जीवन बीमा कंपनी अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के विज्ञापन में लोगों से सवाल पूछती है कि क्या आपका हेल्थ इंश्योरेंस स्वस्थ है? अगर यह सवाल आपसे पूछा जाए तो शायद आप अपने कंधे उचका कर जवाब देंगे – मुझे नहीं मालूम। पर आपका जवाब सही नहीं है। यह हमारी राय में लापरवाही से भरा विचार है। अगर आप सेहत संबंधी किसी समस्या के आ जाने पर आर्थिक चिंताओं से मुक्ति पाना चाहते हैं तो जैसेऔरऔर भी

बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) ने स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के लिए पोर्टेबिलिटी (पॉलिसी बदले बगैर कंपनी बदलने की सुविधा) लागू करने की समय-सीमा बढ़ाकर एक अक्टूबर कर दी है। पहले इसे अगले महीने एक जुलाई से लागू किया जाना था। बताया जा रहा है कि बीमा कंपनियों की तैयारी न होने की वजह से तारीख बढ़ाई गई है। अभी स्वास्थ्य बीमा कराने वालों का कोई सामूहिक डाटा भी नहीं है। पिछले कई महीनों से लोगबाग एक जुलाईऔरऔर भी

चीन में 50 अरब अमेरिकी डॉलर के दवा बाजार को विदेशी कंपनियों के लिए खोले जाने की तैयारी के बीच भारत ने घरेलू कंपनियों की वकालत करते हुए कहा कि वे पड़ोसी देश को सस्ती दर पर जीवन रक्षक दवा उपलब्ध कराने में सक्षम हैं। चीन में भारतीय दूतावास में व्यापार और वाणिज्य दूत के नागराज नायडू ने कहा, ‘‘चीन का दवा बाजार तेजी से बढ़ रहा है और इसका आकार 50 अरब डॉलर के करीब है।’’औरऔर भी

सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों को स्वास्थ्य बीमा पर भारी घाटा उठाना पड़ रहा है। प्रीमियम के रूप में हासिल हर 100 रुपए पर उन्हें 140 रुपए क्लेम व अन्य मदों में खर्च करना पड़ता है। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री नमो नारायण मीणा ने मंगलवार को राज्यसभा में लिखित बयान में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इसी वजह से इन कंपनियों को मेडिक्लेम में दी जानेवाली कैशलेस सुविधा को सीमित करना पड़ा है। बता दें किऔरऔर भी

देश में डायबिटीज के मरीजों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय डायबिटीज फेडरेशन के मुताबिक भारत में 1995 में डायबिटीज के 1.90 करोड़ मरीज थे। 2007 में यह संख्या 4.09 करोड़ हुई और इस साल 2010 में 5.08 करोड़ हो जाने का अनुमान है। चेन्नई के एमवी हॉस्टिपल के ताजा अध्ययन के अनुसार डायबिटीज का हर मरीज साल भर में इसके इलाज पर 25,931 रुपए खर्च करता है यानी सभी मरीजों का सालाना खर्चऔरऔर भी

हर चीज का एक खास व सही वक्त होता है पर हेल्थ इंश्योरेंस के लिए हर वक्त सही होता है। कहा जाता है कि सेहत है तो दौलत है और अपने जीवन का ठीक-ठाक बीमा करा लेने के तुरंत बाद हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने की जरूरत भी किसी नेमत से कम नहीं है। एक समय था जब हेल्थ इंश्योरेंस को सुरक्षित नहीं समझा जाता था। लोगों को जिस एक बीमा के बारे में जानकारी होती थी औरऔरऔर भी

पहले कहां कौन बीमा कराता था? ऐसा नहीं कि तब अनिश्चितता का भय नहीं था, अनहोनी की आशंका नहीं थी। लेकिन लोग भगवान के आगे माथा नवाकर निश्चिंत हो जाते थे। भगवान तू ही सबका रखवाला है, रक्षा करना- इतना भर कह देने से लगता था कि आपको किसी भी आकस्मिक आफत से निपटने का सहारा मिल गया। फिर, अपने यहां एक-दो नहीं, 33 कोटि देवता हैं। गांव से बाहर निकलिए तो ग्राम देवता को प्रणाम करऔरऔर भी