अमेरिकी बाजार कल गिरे तो सही, लेकिन आखिरी 90 मिनट की ट्रेडिंग में फिर सुधर गए। अमेरिकी बाजार में ट्रेड करनेवाले कुछ फंडों का कहना है कि इस गिरावट की वजह यूरो संकट थी, न कि यह शिकायत कि 447 अरब डॉलर का पैकेज रोजगार के पर्याप्त अवसर पैदा करने के लिए काफी नहीं है। यह पैकेज तो अभी तक महज घोषणा है और इसका असर वास्तविक खर्च के बाद ही महसूस किया जा सकता है। इसऔरऔर भी

इस्पात उद्योग कुछ भी कहे, लेकिन इस्‍पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा की मानें तो लौह अयस्क निर्यात करना हमारी मजबूरी है क्योंकि हमारा लौह अयस्क उत्पादन घरेलू खपत का लगभग दोगुना है। जैसे, 2010-11 में देश मे इसकी कुल खपत 11.14 करोड़ टन थी, जबकि उत्पादन 20.811 करोड़ टन था। 2008-09 में तो लौह अयस्क का उत्पादन 21.296 करोड़ टन था, जबकि खपत मात्र 8.74 करोड़ टन ही थी। मंत्री महोदय ने बताया कि मौजूदा नीति केऔरऔर भी

पिछले दो साल में भवन निर्माण की लागत 18 फीसदी बढ़ गई है। यह कहना है रीयल एस्टेट क्षेत्र पर नजर रखने वाली ऑनलाइन डाटा व विश्लेषण फर्म प्रॉपइक्विटी का। इससे रीयल एस्टेट के कामकाज पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। प्रोपइक्विटी के एक अध्ययन मुताबिक 2009 से 2011 के बीच सीमेंट, स्टील, मजदूरी और ईंट जैसी चार प्रमुख चीजों के महंगा होने से निर्माण लागत में कुल 18 फीसदी वृद्धि हो गई है। इस तरह लागत बढ़ जानेऔरऔर भी

स्टील बनाने का मुख्य कच्चा माल आइरन ओर है। लेकिन देश में स्टील का उत्पादन मांग से कम होने के बावजूद हम आइरन ओर का जमकर निर्यात करते हैं। यहां तक कि भारत दुनिया में आइरन ओर का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। इस्पात मंत्रालय की तरफ से दी गई अद्यतन जानकारी के अनुसार अप्रैल-दिसम्‍बर 2010 के दौरान देश में 464.40 लाख टन स्टील घरेलू इस्‍तेमाल के लिए उपलब्‍ध था, जबकि इसकी मांग 518 लाख टनऔरऔर भी

पहले बुरी खबर बताएं या अच्छी? महंगी होने वाली चीजें गिनाएं या सस्ती? चलिए शुरुआत करते हैं सस्ती होनेवाली चीजों से। वर्ष 2010-11 के लिए संसद में पेश किए गए बजट में विभिन्न जिंसों और सेवाओं पर सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा करों आदि में फेरबदल किए जाने से जो वस्तुओं सस्ती हुई हैं वो हैं मोबाइल, फ्रिज, सोना और चांदी के ज़ेवर, कागज, सीमेंट, एलईडी टीवी, बैटरी से चलने वाली गाड़ियां, सौर उपकरण, कीमती नग, औरऔर भी

तब आईबी की कोई रिपोर्ट नहीं आई थी, न ही किसी घोटाले में उसका नाम आया था। लेकिन रामसरूप इंडस्ट्रीज का शेयर एक महीने के भीतर 115 रुपए से गिरकर 65 रुपए पर आ गया। इसी हफ्ते मंगलवार 7 दिसंबर को खबर आई कि कंपनी 1800 करोड़ रुपए के ऋणों की रीस्ट्रक्चरिंग कर रही है। अचानक उसमें 10.33 लाख शेयरों के सौदे हो गए। लेकिन शेयर गिरकर 27.20 रुपए पर बंद हुआ। कल 9 दिसंबर को जबऔरऔर भी

वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कुछ दिन पहले कहा था कि इस साल जुलाई-सितंबर की तिमाही में देश के आर्थिक विकास दर अप्रैल-जून की तिमाही की विकास दर 8.8 फीसदी के काफी करीब रहेगी। दूसरे अर्थशास्त्री और विद्वान कल तक कह रहे थे कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में जिस तरह कमी आई है, उसे देखते हुए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में बढ़त की यह दर 8 से 8.3 फीसदी ही रहेगी। लेकिन केंद्रीयऔरऔर भी

बहुत से निवेशक अभी तक मार्क टू मार्केट के दबाव और विशेषज्ञों की सलाहों के आगे घुटने टेक चुके हैं और बाजार से बहुत कुछ बेच-बाच कर निकल गए हैं। ब्रोकर उन्हें अब भी समझा रहे हैं कि हर बढ़त उनके लिए राहत का मौका है और ऐसे हर मौके पर उन्हें बेचकर निकल लेना चाहिए। अच्छा है क्योंकि आपका इम्तिहान चल रहा है। अब, ऐसा तो नहीं हो सकता कि आप हर बार उम्मीद करें किऔरऔर भी

दुनिया की प्रमुख इस्पात कंपनी आर्सेलर मित्तल ने भारत के लिए नई रणनीति तैयार की है। कंपनी अब भारत में बड़े-बड़े संयंत्र लगाने के बजाय छोटी इकाइयां लगाएगी। शुरुआत में कंपनी का इरादा झारखंड, उड़ीसा और कर्नाटक जैसे राज्यों में छोटी इकाइयां लगाने का है। हालांकि कंपनी ने इसके साथ ही स्पष्ट किया है कि वह संबंधित राज्य सरकारों के साथ हुए करार के तहत इन इस्पात संयंत्रों की क्षमता बाद में बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता पूरीऔरऔर भी

कल माइक्रोसॉफ्ट के अच्छे नतीजों ने अमेरिकी बाजार को टॉप गियर में पहुंचा दिया। लेकिन आज सुबह से ही ईमेल आने शुरू हो गए कि स्पेन के 18 बैंक स्ट्रेस टेस्ट (प्रतिकूल हालात से निपटने की क्षमता की परीक्षा) में फेल हो गए हैं। चेतावनी दी गई कि मेटल सेक्टर गिरनेवाला है। ऐसी तमाम सारी हाय-हाय मचाई गई। आप अच्छी तरह समझ लें कि ये सब मंदड़ियों की कुंठा व हताशा है जो इस तरह की खबरोंऔरऔर भी