शेयर बाज़ार के प्रमुख सूचकांक निफ्टी-50 ने 28.47 का सर्वोच्च पी/ई अनुपात या अब तक का सबसे महंगा स्तर 11 फरवरी 2000 को पकड़ा था। तब डॉटकॉम का बुलबुला और केतन पारेख का घोटाला चरम पर था। फिर 28.29 का स्तर उसने 8 जनवरी 2008 को पकड़ा। मगर बाज़ार नौ महीने बाद करीब 60% गिर गया। अभी शुक्रवार, 5 जनवरी 2018 को निफ्टी-50 का पी/ई अनुपात 26.99 रहा है। इसलिए सावधान! अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

ब्रोकर क्या कहता है, मीडिया क्या कहता है, दोस्त क्या कहते हैं, बाज़ार कितना चढ़ा है, इससे आपके निवेश पर फर्क नहीं पड़ना चाहिए। निवेश बहुत अनुशासित काम है जिसमें सारा रिस्क व रिवॉर्ड आपका होता है। इसलिए अपने हितों को कभी आंच न आने दें। देखें कि जो शेयर खरीद रहे हैं, उसमें मूल्य है कि नहीं और उसका भाव आपको सुरक्षित मार्जिन दे रहा है या नहीं। अब तथास्तु में साल 2017 की आखिरी कंपनी…औरऔर भी

समय व हालात के हिसाब से अगर बदले नहीं तो विशाल डायनासोर का वजूद भी मिट जाता है। कैसेट व वीसीआर जैसे न जाने कितने उद्योगों का अब कोई नामलेवा नहीं बचा। कंपनियां वक्त की मांग को देखते हुए तेल से सॉफ्टवेयर तक में शिफ्ट कर जाती हैं। हमें निवेश के लिए कंपनियां चुनते वक्त इस सच को हमेशा ध्यान में रखना पड़ता है। आज तथास्तु में पुराने के साथ नए को भी अपनाती एक तगड़ी कंपनी…औरऔर भी

बचाते सभी हैं। लेकिन बचत से दौलत सभी नहीं बना पाते। अधिकांश लोग मूलधन की चिंता में एफडी या सोने में धन लगाते हैं। प्रॉपर्टी में निवेश सबके वश में नहीं। शेयर बाज़ार में निवेश करने से डरते हैं क्योंकि उसमें बहुत रिस्क है। लेकिन कंपनी की मजबूती को परखकर निवेश करें तो चंद सालों में धन कई गुना हो जाता है। तथास्तु में छह साल पहले पेश इस कंपनी का शेयर 7.84 गुना हो चुका है…औरऔर भी

शेयर बाज़ार को लेकर हमारी धारणा न जाने कब साफ और व्यावहारिक बन पाएगी। मान्यता है कि लंबे निवेश का आदर्श है कि हमेशा के लिए निवेश। लेकिन निवेश कोई सात जन्मों का बंधन नहीं कि बंधे तो बंध गए। हो सकता है कि कंपनी का दमखम समय के साथ चुक जाए। तब उसके साथ चिपके रहने का क्या फायदा! निवेश के फलने-फूलने के लिए तीन-चार साल काफी होते हैं। अब तथास्तु में एक और संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में हम अमूमन इसलिए निवेश करते हैं क्योंकि हमें लगता है कि यहां फटाफट धन बनाया जा सकता है। भूल जाते हैं कि शेयर कंपनी का है और लंबे समय में वह तभी बढ़ेगा, जब कंपनी का धंधा बढ़ेगा। ‘तथास्तु सेवा’ इस धारणा से आगे बढ़कर आपको मात्र निवेशक नहीं, बल्कि संभावनाओं से भरी कंपनी का मालिक बनाना चाहती है। अभी के चढ़े बाज़ार में भी हमें कुछ ऐसी कंपनियां दिखीं, जिनमें काफी दम है…औरऔर भी

अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने भारत की संप्रभु रेटिंग बीएए3 से एक पायदान उठाकर बीएए2 कर दी है। ब्रिक्स देशों में चीन की रेटिंग भारत से ऊपर और ब्राज़ील व रूस की रेटिंग भारत से नीचे है। वहीं दक्षिण अफ्रीका की रेटिंग इसी जून तक बीएए2, यानी हमारे अभी के बराबर हुआ करती थी, जिसे उसके बाद मूडीज़ ने घटा कर बीएए3 कर दिया। इसलिए बहुत चहकना वाजिब नहीं है। अब तथास्तु में आज की निवेशयोग्य कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार के निवेश का रिस्क कभी मिटता नहीं। यह कभी एक सीमा से ज्यादा घट नहीं सकता। कभी-कभी तो यह ज्यादा ही बढ़ा होता है। मसलन, फिलहाल निफ्टी-50 सूचकांक 26.87 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। इससे पहले 14 जनवरी 2008 को वो 27.89 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हुआ है। ज़ाहिर है कि बाज़ार के गिरने का रिस्क अभी बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है। ऐसे में तथास्तु में सावधानी से चुनी गई कंपनी…औरऔर भी

ज़िंदगी कोई आलू का पराठा नहीं कि किसी ने बनाया और आप खा गए। अर्थव्यवस्था भी इतनी पालतू नहीं कि सरकार ने कहा और वो उछलने लग जाए। बराबर ऐसा कुछ आता रहता है कि पुराना मिटकर नए में समा जाता है। नया पुराने को समेट कर आगे बढ़ता रहता है। इसलिए निवेश और उससे जुड़ी सोच में भी बराबर नयापन लाते रहना चाहिए। नए संवत 2074 का यही संदेश है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

पानी ऊपर से नीचे बहता है। लेकिन बचत हमेशा कम से ज्यादा रिटर्न की तरफ बहती है। इधर ब्याज दर घटने पर लोगबाग एफडी से धन निकालकर म्यूचुअल फंडों की इक्विटी स्कीमों में लगाने लगे हैं। शेयरों की ज्वाला पर भी पतंगे टूटे पड़े हैं। इससे म्यूचुअल फंडों और ब्रोकरों की कमाई बढ़ गई है। लेकिन निवेशकों की कमाई अंततः बढ़ पाएगी या 2008 जैसा हश्र होगा? यह अहम सवाल है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी