निफ्टी इस साल 29 जनवरी के ऐतिहासिक शिखर 11,171.55 से 16 मार्च के सबसे निचले स्तर 9951.90 तक 10.92% गिर चुका है। उस दिन एनएसई में 312 कंपनियों ने 52 हफ्तों की तलहटी पकड़ ली। इनमें स्टेट बैंक, अंबुजा सीमेंट्स, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, अडानी पावर, कैडिला, ल्यूपिन, पीएफसी, सीमेंस व टाटा मोटर्स जैसी कई नामी कंपनियां शामिल हैं। लेकिन 52 हफ्तों का न्यूनतम स्तर ही सुरक्षित निवेश का पैमाना नहीं है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…और भीऔर भी

एफडी में निवेश गेहूं-धान लगाकर सीजन-सीजन फसल काट लेने जैसा है। वहीं, शेयर बाज़ार में लिस्टेड संभावनामय कंपनियों में निवेश पेड़ लगाने जैसा है जिसका फायदा आपके बाद आपके परिजन भी उठा सकते हैं। इसलिए ज़रूर सोचें कि क्या आपने अपने समय में उभरती कंपनियों को देख-समझकर उनके मालिकाने का सीमित हिस्सा खरीदा या नहीं। याद रखें कि मौजूदा दौर में दौलत बनाने का सबसे उपयुक्त माध्यम अच्छी कंपनियां हैं। अब तथास्तु में एक और संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में निवेश करनेवाले जानते हैं कि सेंसेक्स की चाल किसी टीवी चैनल के क्राइम शो से भी ज्यादा सनसनीखेज़ है। वह कुछ साल में 33,000 से 1,00,000 तक पहुंच सकता है और एकाध महीने में 25,000 तक भी लुढ़क सकता है। यही रिस्क है शेयर बाज़ार में निवेश करने का। लेकिन उठने और गिरने, दोनों ही सूरत में यहां निवेश के मौके कभी कम नहीं होते। आज तथास्तु में निवेश का ऐसा ही एक मौका…औरऔर भी

शेयर बाजार अब भी चढ़ा हुआ है। निफ्टी और सेंसेक्स गिरने के बावजूद हकीकत की ज़मीन से काफी ऊपर अटके पड़े हैं। बहुत-सी कंपनियों के शेयर आसमान से नीचे नहीं उतर रहे। फिर क्या हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा जाए? नहीं। दरअसल, इसी बाज़ार में बहुत-सी अच्छी कंपनियां हैं जिनके शेयर भी बहुत ज्यादा नहीं चढ़े हैं। बस उन्हें देखने के लिए रिसर्च व मेहनत चाहिए। तथास्तु में निवेश के योग्य ऐसी ही एक संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार से कमाना है तो सही वक्त पर निवेश के साथ-साथ निर्धारित लक्ष्य के पूरा होते ही निकल जाने का अनुशासन मानना चाहिए। मसलन, हमने पंजाब नेशनल बैंक में 10 जनवरी 2016 को 105 रुपए पर निवेश की पेशकश करते हुए सवा तीन साल में 212 तक पहुंचने का लक्ष्य रखा था। लेकिन वो 26 अक्टूबर 2017 को ही 231 पर पहुंच गया। तब जो निकला, वो खुश। बाकी दुखी। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

सरकारें आती हैं, जाती हैं। इसी तरह घोटाले आते हैं, जाते हैं। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था की निहित संभावना के पूरी तरह निखरने पर खास फर्क नहीं पड़ता। हां, थोड़ी देर हो सकती है। लेकिन भारत की विकासगाथा को परवान चढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। इसलिए आम निवेशक के लिए यही बेहतर होगा कि हवाबाज़ी या घबराहट में आए बगैर वो अच्छी कंपनियों के स्वामित्व में अपना छोटा हिस्सा जुटाता जाए। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

उठना-गिरना शेयर बाज़ार का स्वभाव है। अहम बात है सही वक्त पर निवेश करना क्योंकि यही दिलाता है बाज़ार का भरपूर फायदा। बाज़ार इधर गिरा है। तमाम शेयर भी गिरे हैं। लेकिन यह गिरावट भी सही वक्त पर किए गए निवेश की बराबरी नहीं कर सकती। आज हम जो कंपनी उठा रहे हैं, उसमें अगर किसी ने पहले बताए हमारे वक्त पर निवेश किया होगा तो उसका धन 22 महीने में लगभग तीन गुना हो चुका होगा…औरऔर भी

हर कंपनी अलग तरह के निवेशकों व ट्रेडरों को खींचती है। नतीजतन कंपनियों के शेयर का स्वभाव अलग-अलग बन जाता है। इस आधार पर कुछ कंपनियां हीरे की तरह सदा के लिए होती हैं तो कुछ ऐसी होती हैं जिनमें बीच-बीच में बेचकर मुनाफा कमा लेना ज्यादा उचित होता है। आज हम तथास्तु में इसी तरह की एक कंपनी पेश कर रहे हैं जो है तो मजबूत और संभावनाओं से भरी। लेकिन शेयर गोता खाता रहता है।…औरऔर भी

शेयर बाज़ार का अपना स्वभाव होता है और उस पर मानने या मनाने का कोई असर नहीं पड़ता। मगर, जिस तरह इस वक्त तमाम अच्छी कंपनियों के शेयर चढ़े हुए हैं, उसमें इच्छा होती है कि काश! वे जमकर गिर जाते तो हमें निवेश का सुरक्षित मौका मिल जाता। फिलहाल, इच्छाओं को परे रखकर हमें समय की शरण में चले जाना चाहिए और अच्छे शेयरों के गिरने का इंतज़ार करना चाहिए। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार या किसी भी वित्तीय बाज़ार में निवेश तभी करना चाहिए जब आप जितना लगा रहे हैं, उसे डुबाने के तैयार हों। कहने का यह बड़ा औघड़ अंदाज़ है। लेकिन कड़वी हकीकत यही है कि यह बाज़ार इतना रिस्की है कि आप जितना धन लगाते हैं, वह सारा का सारा डूब सकता है। इसलिए इसमें वही धन लगाएं जिसके डूबने पर आपके ठाट-बाट और सेहत पर कोई फर्क न पड़े। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी