राजनीति सेवाभाव से करो तो उसमें त्याग ही त्याग है। लेकिन स्वार्थ के लिए करो तो आज हमारे देश का सबसे शानदार धंधा है। इतना जबरदस्त रिटर्न किसी बिजनेस में भी नहीं। फिर भी राजनीति को पांच साल के चक्र से गुजरता पड़ता है। इसी तरह कपास, सीमेंट, स्टील, तांबा व क्रूड ऑयल जैसे हर जिन्स से जुड़े उद्योग और उनमें सक्रिय कंपनियों को भी चक्र से गुजरना पड़ता है। आज ऐसे ही उद्योग की एक कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार का हाल इस समय बड़ा विचित्र है। सेंसेक्स ऐतिहासिक शिखर पर है। लेकिन उसमें शामिल 30 में से 22 कंपनियों के शेयर दबे पड़े हैं। कुछ दिनों पहले स्मॉल-कैप सूचकांक 14 महीनों के न्यूनतम स्तर पर चला गया। इनमें से कुछ स्टॉक तो 90% तक गिर गए। ऐसे माहौल में अच्छी कंपनियों चुनने का रास्ता कतई सीधा-सरल नहीं हो सकता। लेकिन नज़र वालों के लिए मौके कम नहीं हैं। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

निफ्टी व सेंसेक्स ने शुक्र को नया ऐतिहासिक शिखर बना लिया। पर उस दिन उनके साथ जितनी कंपनियों ने नई चोटी पकड़ी, उससे लगभग दो गुनी कंपनियों ने नया तला छू लिया। इनमें कुछ अच्छी कंपनियां भी शामिल हैं। बाज़ार की चढ़ाई में लंबे निवेश की संभावना ऐसी ही अच्छी, मगर नीचे पड़ी कंपनियों में छिपी होती है। सतह पर झाग ही तैरता है, जबकि मोती तलहटी में पड़े मिलते हैं। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

इस साल 15 जनवरी के ऐतिहासिक शिखर से बीएसई स्मॉल-कैप सूचकांक अब तक 20.10% गिर चुका है। फिर भी 103.31 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। यानी, औकात से कम से कम दोगुना महंगा। इसलिए इन कंपनियों के और ज्यादा गिरने की भरपूर गुंजाइश अभी बची है। वैसे, इस गिरावट में कुछ अच्छी कंपनियां भी रपट गई हैं तो गिरने के बाद अब सस्ती भी हो गई हैं। आज तथास्तु में ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

भारत फ्रांस को पीछे छोड़ दुनिया की छठीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। लेकिन प्रति व्यक्ति आय में भारत दुनिया में 126वें नंबर पर हैं। इस साल अब तक बीएसई सेंसेक्स उभरते देशों में सबसे ज्यादा 8.3% बढ़ा है, जबकि चीन का शांघाई सूचकांक 15.6% गिरा है। लेकिन इसी दौरान बीएसई स्मॉल-कैप सूचकांक चीन से ज्यादा 15.7% गिरा है। झांकियों के इस दौर में सच की डोर को पकड़ना ज़रूरी है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

हम बैंक एफडी को सुरक्षित मानते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि इस समय 21 सरकारी बैंकों में 11 के डूबत ऋण उनकी नेटवर्थ का डेढ़ गुना तक हो चुके हैं। उनका घाटा समूचे डिपॉजिट का मूल्य सोख चुका है। उनका शटर गिरा तो आपका 90-100% डिपॉजिट स्वाहा हो सकता है। सरकार उनके घाटे व पूंजी की भरपाई कर रही है, तभी तक वे बचे हैं। तथास्तु में ऐसी कंपनी जिसमें निवेश बैंक-एफडी से ज्यादा सुरक्षित है…औरऔर भी

आशा, उम्मीद और नोटों के प्रवाह के दम पर फूला शेयर बाज़ार जब गिरता है तो सबसे पहली मार स्मॉल-कैप और मिडकैप स्टॉक्स पर पड़ती है। हालांकि इसकी चपेट से बड़े-बड़े दिग्गज भी नहीं बच पाते। शायद आपको याद नहीं होगा कि पिछली चपेट में दिसंबर 2007 से मार्च 2009 तक के दौरान कोटक महिंद्रा बैंक 82.1%, लार्सन एंड टुब्रो 70.5%, एचडीएफसी 57.9, मारुति 54.2% और टाइटन 52.4% लुढ़क गया था। अब तथास्तु में आज की कंपनी…और भीऔर भी

अतीत के रिटर्न और प्रदर्शन से कतई गारंटी नहीं होती कि कंपनी भविष्य में भी वैसी ही उपलब्धि हासिल कर लेगी। शेयर बाज़ार में निवेश का यह प्रमुख रिस्क है। लेकिन अगर अच्छी तरह परख लें कि कंपनी प्रबंधन ने प्रतिकूल हालात से कैसे निपटा और वह आज की ज़मीन पर मजबूती से डटकर कल को साधने की कला में कितना सिद्धहस्त है तो यह काफी रिस्क घट जाता है। तथास्तु में आज ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

काश! कुछ ऐसा मिल जाता है जिसमें पक्की कमाई हो जाती। उसने तो इतना बना लिया और मैं पीछे छूट गया। जितना मिला ठीक, पर और ज्यादा मिले। कहीं मौका हाथ से निकल न जाए। निवेशकों के मन में ऐसे विचार अमूमन आते हैं। इन सब का असर बाज़ार पर भी पड़ता है। लेकिन निजी स्तर पर इसका खामियाज़ा हम एक बार नहीं, बार-बार गलतियों के रूप में भुगतते हैं। अब तथास्तु में आज की उभरती कंपनी…औरऔर भी

निवेश को सार्थक व सफल बनाने की राह में हमारी छह वृत्तियां या भावनाएं घातक साबित होती हैं। डर, लालच, भीड़ की भेड़चाल से बचने के बजाय उसी का अनुसरण, तर्क को ताक पर रखना, ईर्ष्या और अहंकार। हमारे भीतर अहंकार इतना भरा होता है कि मानने को तैयार ही नहीं होते कि हमसे गलती हो सकती है। लेकिन आत्मविश्वास इतना कम कि हमेशा भीड़ या औरों की तरफ देखते हैं। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी