समाज है तो बाज़ार है। बाज़ार है तो हर वस्तु या सेवा का मूल्य है। आमतौर पर बाज़ार में किसी सेवा या वस्तु का मूल्य ठीक उस समय उसकी मांग व सप्लाई के संतुलन को सटीक रूप से दिखलाता है। लेकिन शेयर बाज़ार में असली मूल्य अमूमन वर्तमान भावों में नहीं झलकता क्योंकि वे भविष्य के आकलन और कंपनी को लेकर बनी तात्कालिक धारणा को दर्शाते हैं। तथास्तु में आज ऐसे ही भाव-जाल में फंसी एक कंपनी…औरऔर भी

पुराना साल गया। नए साल में लालच के छल्ले फेंकने का दौर चालू है। ब्रोकर दस-बीस स्टॉक उछालकर उनमें साल भर में 20-30% कमाई का दावा कर रहे हैं। लेकिन गौर करें तो ये सभी स्टॉक्स पहले से काफी बढ़ चुके हैं। यह है आम दृष्टि के दोहन का फॉर्मूला क्योंकि लोगबाग चढ़े-बढ़े हुए के पीछे ही भागते हैं। लेकिन शेयर बाज़ार में निवेश से कमाई खास दृष्टि से होती है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

बाज़ार में बहुत शोर है। अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ते पर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक देश से भागते रहे तो क्या होगा? लोकसभा चुनावों में मोदी का जादू नहीं चला तो! शेयर बाज़ार मंदी की गिरफ्त में आ गया तो! लेकिन इस सारे शोर और सवालों के बीच हमारे जीवन और भारतीय अर्थव्यवस्था पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ने जा रहा। इसी तरह कुछ ऐसी कंपनियां हैं जिन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। तथास्तु में ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

बचपन, जवानी, बुढ़ापा और मौत। जीवन के इस चक्र में इंसान सबसे ज्यादा मूल्यवान अपनी जवानी में होता है। तमाम कंपनियां भी ऐसे ही चक्र से गुजरती हैं। लेकिन कुछ कंपनियां वक्त की नब्ज़ और ज़रूरत से ऐसी जुड़ती हैं कि बहुत लंबा जीवन जीती हैं। सालों-साल बाद भी वे एकदम जवान रहती हैं। ऐसी कंपनियों को अगर हम वक्त रहते पकड़ लें तो हमारी बचत को पंख लग जाते हैं। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार पर मुठ्ठीभर कंपनियों का दबदबा बढ़ता जा रहा है। बाज़ार के कुल कारोबार में शीर्ष 50 कंपनियो का हिस्सा बढ़कर 58% हो चुका है। वहीं, शीर्ष की 100 कंपनियों की बात करें तो उनका हिस्सा 75% हो चुका है। साल भर पहले तक स्थिति इतनी विषम नहीं थी। आज अच्छी-खासी मजबूत छोटी कंपनियों तक का कोई पुछत्तर नहीं है। इसलिए बाज़ार बढ़ने के बावजूद उनके शेयर गिर रहे हैं। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

हालात कितनी तेज़ी से बदलते हैं! छह महीने पहले तक शेयर बाज़ार चमाचम था। सभी निवेशक मस्त थे। लेकिन आज अधिकांश निवेशक रो रहे हैं। खासकर, स्मॉलकैप कंपनियों के निवेशक ज्यादा ही दुखी हैं। पिछले छह से नौ महीनों में इनके शेयरों को काफी चोट लगी है। इसकी खास वजह है कि इधर इनके धंधे पर भी मार लगी है। लेकिन यह चक्र टूटेगा। तथास्तु में आज ऐसी कंपनी जो इस चक्र को यकीनन तोड़ सकती है…औरऔर भी

तमाम बैंक वेल्थ मैनेजमेंट की बात करते हैं। वे बड़े ग्राहकों के लिए वेल्थ या रिलेशनशिप मैनेजर तक तय कर देते हैं। लेकिन हकीकत में ऐसे वेल्थ मैनेजर ग्राहकों की दौलत बढ़ाने के बजाय बैंकों का ही धंधा बढ़ाने का काम करते हैं। ऐसा वे ग्राहकों के हितों की कीमत पर करते हैं। बैंक के कर्मचारी होने के नाते वे उसे सबसे ऊपर, लेकिन ग्राहकों को कहीं का नहीं रखते। अब तथास्तु में आज की संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

कुछ हफ्ते या महीने भर बाद शेयर बाज़ार कहां जाएगा, इसे बता पाना किसी के लिए भी संभव नहीं। हो सकता है कि बाज़ार गिरता जाए या ऊपर चढ़ जाए। पर एक बात गांठ बांध लें कि घबराहट में अपना पोर्टफोलियो खाली नहीं करना चाहिए। अगर आपने किसी कंपनी की मूलभूत मजबूती व संभावना को समझकर उसके शेयर खरीदे हैं और वह स्थिति बदली नहीं है तो उसे कतई न बेचें। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

अगस्त के शिखर से गिरने के बाद शेयर बाज़ार में बहुत-सी कंपनियों का मूल्यांकन काफी आकर्षक हो गया है। अभी उनको खरीदना लंबे समय के लिए अच्छा सौदा साबित हो सकता है। लेकिन ऐसा नहीं कि जैसे ही आप खरीदेंगे, वैसे ही वे बढ़ना शुरू कर देंगे। इसलिए इस समय निवेश की सबसे अच्छी रणनीति एसआईपी है जिसमें एक बार नहीं, बल्कि क्रमिक रूप से चरणों में खरीद की जाती है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

अगर कोई कंपनी ऐसी दिखे जिसके फंडामेंटल मजबूत हैं, प्रबंधन शानदार है, ट्रैक रिकॉर्ड जानदार है, भावी विकास की भरपूर संभावना नज़र आ रही है और शेयर का भाव अभी सुरक्षा का पर्याप्त मार्जिन दे रहा है तो बाज़ार की उठापटक या भीड़ की सोच की परवाह किए बिना हमें उसमें तीन से पांच साल के लिए निवेश कर देना चाहिए। दौलत बनाने का बाकी कमाल चक्रवृद्धि का जादू कर देगा। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी