अगर आप शेयर बाज़ार में यह सोचकर निवेश कर रहे हैं कि बराबर हर साल मुनाफा कमाते रहेंगे तो यह भ्रम फौरन मन से निकाल दीजिए। हकीकत यह है कि यहां बड़े से बड़े दिग्गज़ निवेशकों को भी घाटा खाना पड़ता है। बीते साल 2018 में अपने यहां जिस तरह मिडकैप व स्मॉल-कैप शेयरों की अंधाधुंध धुनाई हुई है, उसमें अधिकांश धुरंधर निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो पर घाटा सहना पड़ा है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में निवेश करना बहुत रिस्की है। फिर भी देश में लगभग 4.14 करोड़ लोग फिलहाल यह रिस्क उठा रहे हैं। साथ ही म्यूचुअल फंड में निवेश करनेवालों के खातों की संख्या 8.91 करोड़ पर पहुंच चुकी है। ज़रूरी नहीं कि इन सबके पास ज़रूरत से ऊपर इफरात धन हो। हालांकि शेयर बाज़ार मूलतः उन्हीं लोगों के लिए है जिनका धन इसमें डूब भी जाए तो खास फर्क नहीं पड़ता। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

इधर कुछ दिनों से स्मॉल और मिडकैप कंपनियों के शेयरों में जान आ गई लगती है। लेकिन पिछले 13 महीनों में बीएसई स्मॉल-कैप सूचकांक लगभग 35% और मिडकैप सूचकांक 25% लुढ़क चुका है। इस दौरान अच्छी-खासी कंपनियों के शेयरों ने आम निवेशकों को रुला डाला। लेकिन कंपनी अगर अच्छी है तो पछताने के बजाय उसमें खरीद बढ़ा देने में कोई हर्ज नहीं है। समझिए कि यह आपके धैर्य की परीक्षा है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

लंबे निवेश के लिए कभी-कभी लंबा इंतज़ार करना पड़ता है क्योंकि कंपनी लाख अच्छी व संभावनामय हो, लेकिन उसमें सुरक्षित मार्जिन का ध्यान न रखा और महंगे भाव पर निवेश कर दिया तो अच्छा रिटर्न मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए हमें कंपनी के शेयर के गिरकर सुरक्षित दायरे में आने का इंतज़ार करना पड़ता है। यह इंतज़ार कुछ महीने से लेकर कुछ साल तक का हो सकता है। आज तथास्तु में ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

कुछ कंपनियां निवेशकों की दुश्मन होती हैं। ताम-झाम दिखाकर या ऑपरेटरों का जाल फैलाकर निवेशकों से धन झटकती हैं। फिर प्रवर्तक तो मौज करते हैं, जबकि कंपनियां सारा मूल्य चट कर जाती हैं। हमारे पुराने पाठक सीएनआई रिसर्च की सुझाई सूर्यचक्र पावर को लेकर ज़रूर ऐसे सदमे में होंगे। लेकिन कुछ कंपनियां अपने शेयरधारकों का मूल्य हमेशा बढ़ाती रहती हैं। उनका प्रबंधन कभी निवेशकों को गच्चा नहीं देता। आज तथास्तु में कुशल प्रबंधनवाली ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

इस समय 400 से ज्यादा स्मॉल-कैप कंपनियों के शेयर 52 हफ्तों की तलहटी पकड़ चुके हैं। इसमें बहुत-सी अच्छी व मजबूत कंपनियां हैं। आठ साल पहले 2011 में भी ऐसी ही स्थिति आई थी। लेकिन उनके शेयर तेज़ी से उठे थे। इस बार भी देर-सबेर ऐसा होना है क्योंकि लंबे समय में शेयरों के भाव कंपनियों के धंधे के अनुरूप चलते हैं। यह विज्ञान है, जबकि उन्हें चुनना एक कला है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

अमीर का अमीर और गरीब का गरीब होते जाना समाज के लिए अच्छा नहीं। लेकिन अपने यहां शेयर बाज़ार तक में यही हो रहा है। 1 जनवरी 2018 से 8 फरवरी 2019 तक बीएसई सेंसेक्स 8.08% बढ़ा है, जबकि मिडकैप सूचकांक 18.52% और स्मॉलकैप सूचकांक 28.53% गिरा है। बड़ों को पुचकारना और छोटों को दुत्कारना अच्छा नहीं। हालांकि इससे छोटी मजबूत कंपनियों को पकड़ने का अच्छा मौका मिल गया है। आज तथास्तु में ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

नकारात्मक खबर घबराहट पैदा कर दे तो शेयरों के भाव गोता लगा जाते हैं। कुछ महीने पहले यस बैंक के साथ यह हादसा हुआ था। हालांकि अब वह उससे उबरने लगा है। खबरों की ऐसी मार के वक्त अगर यकीन हो कि कंपनी की मूलभूत मजबूती बरकरार है और उसके धंधे का भविष्य संभावनामय है तो उसके डुबकी लगाते शेयर को लपकने का रिस्क लिया जा सकता है। आज तथास्तु में झटका खानेवाली ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

धरती, जल, अग्नि व वायु को सदियों से हर जीवधारी के शरीर का आवश्यक अवयव माना गया है। इसी तरह किसी भी देश के लिए रणनीतिक महत्व के कुछ उद्योग होते हैं जो अनिवार्य रूप से हमेशा के लिए उससे जुड़े रहते हैं। इनकी उपयोगिता एफएमसीजी य दवा उद्योग से भी ज्यादा होती है। ऐसे उद्योग में सक्रिय प्रमुख कंपनियां लंबे निवेश के लिए बड़ी माफिक होती है। आज तथास्तु में ऐसे ही उद्योग की अहम कंपनी…औरऔर भी

किसी अन्य व्यापार की तरह शेयर बाज़ार की ट्रेडिंग भी एक बिजनेस है। उसका सारा जोखिम हमें खुद उठाना पड़ता है। उस पर टैक्स भी बिजनेस जैसा लगता है। वहीं, लंबे समय के निवेश में हम खुद बिजनेस नहीं करते, बल्कि दूसरों द्वारा किए जा रहे संभावनामय बिजनेस पर दांव लगाते हैं। उसके मालिकाने का अंश खरीदकर रख लेते हैं। कितने साल तक, यह हमारे लक्ष्य पर निर्भर है। अब तथास्तु में जमे-जमाए बिजनेस वाली एक कंपनी…औरऔर भी