मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने के बाद शेयर बाज़ार में नई तेज़ी आ गई है। निफ्टी 12,000 और सेंसेक्स 40,000 के पार जा चुका है। यह तेज़ी जारी रह सकती है, बशर्ते कंपनियों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) बढ़ने लगे। अभी तक पी/ई अनुपात का जलवा छाया रहा है। कंपनियों का मुनाफा नहीं बढ़ा तो बाज़ार कभी भी भरभराकर गिर सकता है। तथास्तु में आज अपने उद्योग में औरों से बेहतर काम कर रही कंपनी…औरऔर भी

राजनेता अपनी ताकत चुनावों में जनता के वोट पाकर हासिल करते हैं। जनता के बम्पर वोट मिलने से ही उनकी ताकत कई गुना बढ़ जाती है। लिस्टेड कंपनियां भी शेयर बाजार के ज़रिए निवेशकों से पूंजी, साख व ताकत हासिल करती हैं। साख व ताकत बढ़ने से उनके शेयर का मूल्य बढ़ता है। इससे कंपनी के साथ उसके शेयरधारकों को भी लाभ मिलता है और दोनों साथ-साथ जीतते चले जाते हैं। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार से आप ज्यादा रिटर्न महज इसलिए नहीं कमाते कि आपने बहुत जटिल बिजनेस मॉडल वाली कंपनी में निवेश किया है। कंपनी ऐसी होनी चाहिए जिसका बिजनेस मॉडल आपको अच्छी तरह समझ में आ जाए। साथ ही उसके धंधे में एंट्री बैरियर इतना तगड़ा होना चाहिए कि दूसरा आसानी से घुस न पाए। वह एक-एक कदम भी बढ़ती रही तो काफी है, दस कदम की छलांग लगाने की ज़रूरत नहीं। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में छाए मौजूदा उन्माद व सन्निपात के बीच तमाम मजबूत व अच्छी कंपनियां सबकी नज़रों से ओझल पड़ी हैं। अगर ऐसी कंपनियों की सही शिनाख्त कर ली जाए तो वे निवेशकों के लिए दौलत बनाने व बढ़ाने का काम कर सकती हैं। सामान्य निवेशकों के लिए ऐसे मौके शानदार तोहफा लेकर आते हैं। इन्हें पकड़ने के लिए ज़रूरी है कि हम शोर के बीच सच का सूत्र पकड़ लें। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

चुनावों ही नहीं, शेयर बाज़ार तक में छवि का बड़ा महत्व है। नहीं तो दो रुपए का पानी बिसलेरी बनकर बीस रुपए में नहीं बिकता। सामान्य माल जब ब्रांडेड उत्पाद बनता है तो उसके विज्ञापन पर होनेवाले खर्च से कहीं ज्यादा मुनाफा कंपनी को मिलने लगता है। कोकाकोला या पेप्सी इसके नायाब उदाहरण हैं। निवेश लायक कंपनियां चुनते वक्त हमें उनके ब्रांडों की ताकत का भी ध्यान रखना चाहिए। आज तथास्तु में ऐसे ही दमखम वाली कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार लंबे समय में झांकियों पर नहीं, ठोस तथ्यों पर चलता है। लगने और होने भी फर्क है। हमें लगता है कि मोदीराज में शेयर बाज़ार जमकर बढ़ा है। लेकिन हकीकत यह है कि मई 2014 से अप्रैल 2019 तक बीएसई सेंसेक्स की सालाना चक्रवृद्धि दर 10.1% रही है, जबकि जून 2004 से मई 2009 तक यह दर 27.1% और जून 2009 से मई 2009 के बीच 12.3% रही थी। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

सरकारें आती रहीं, जाती रहीं। हमारी अर्थव्यवस्था जिस रफ्तार से बढ़ी, उससे ज्यादा रफ्तार से शेयर बाज़ार बढ़ा। बीते 39 सालों में बीएसई सेंसेक्स 305 गुना से ज्यादा बढ़ा है। इसने उन सभी लोगों को दौलत बनाने का मौका दिया, जिन्होंने समझदारी से अच्छी कंपनियों में लंबे समय के लिए निवेश किया। हमें भी यही रास्ता अपनाना चाहिए और चुनावी तमाशे व टीवी चैनलों पर मचे शोर से दूर रहना चाहिए। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

सारा देश चुनावों के राग में डूबा हुआ है। हर तरफ राजनीति का शोर। लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि अभी तक हमारी अर्थव्यवस्था राजनीति की परवाह किए बिना बढ़ती रही है और उसी से जुड़ा है हमारा शेयर बाज़ार। हालांकि इधर चुनाव नतीजों की अनिश्चितता के बीच बाज़ार में छोटी कंपनियों के शेयर ज्यादा ही गिर गए हैं। लेकिन अनिश्चितता के हटते ही उनके उठने की भरपूर संभावना है। तथास्तु में आज ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी

भारत में उद्यमशीलता की कोई कमी नहीं। हमारे नगरों-महानगरों की छोटी-छोटी गलियों में आपको इसकी झलक मिल जाती है। न जाने कितने चरणों में अपना माल बनवाकर छोटी कंपनियां बडे ग्राहकों तक पहुंचाती हैं। यही छोटी कंपनियां एक दिन बड़ी बन जाती हैं तो उनके मूल्य का कोई ठिकाना नहीं रहता। हम आज तथास्तु में ऐसी ही एक छोटी से बड़ी बनी कंपनी लेकर आए हैं जिसने आठ साल में आठ गुना से ज्यादा रिटर्न दिया है…औरऔर भी

सेवा के लिए बनी राजनीति आज देश में जबरदस्त मुनाफा कमानेवाला धंधा बन गई है। लेकिन क्या इस क्षेत्र में कंपनियां बनाकर लिस्ट करवा दी जाए तो उनका मूल्यांकन बहुत ज्यादा होगा? नहीं, क्योंकि राजनीति के धंधे में पारदर्शिता नहीं है और जहां पारदर्शिता नहीं है, वहां मूल्यांकन नहीं हो सकता। हालांकि इससे इतर तमाम धंधे हैं जहां पारदर्शिता और अच्छी कमाई दोनों ही हैं। उनमें निवेश लाभ का सौदा है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी