दीपावली का चक्र है। ऋतुओं का चक्र है। दीपावली को हम भले ही धन की देवी लक्ष्मी से जोड़ दें, लेकिन इसका असली वास्ता खेती के चक्र से रहा है। वहीं, धन का कोई चक्र नहीं होता। जहां से शुरू करो, वहीं से उसका चक्र बन जाता है। दीपावली का बहाना अच्छा है। कमाने का ख्याल अच्छा है। लेकिन सतर्क बुद्धि और सही दांव से कभी भी कमाया जा सकता है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

ठगी के धंधे में कोई कांच को हीरा और कलई चढ़े आभूषण को खरा सोना बनाकर बेच सकता है। लेकिन असली धंधे में वही टिकता है जिसमें अंदर का दम होता है और जो ग्राहकों के बीच अपनी साख से कभी समझौता नहीं करता। हमें लंबे समय के निवेश के लिए ऐसी ही कंपनियां चुननी चाहिए। विश्वास रखें कि मिट्टी में पड़ा हीरा अंततः अपनी कीमत हासिल कर ही लेता है। तथास्तु में आज ऐसी ही कंपनी…औरऔर भी

भारत का पता नहीं, लेकिन दुनिया के आधे निवेशक चिंतित हैं कि मंदी आने ही वाली है और शेयर बाज़ार कभी भी क्रैश हो सकते हैं। विश्व की जानी-मानी बीमा कंपनी एलियांज़ लाइफ के ताज़ा सर्वेक्षण से यह बात सामने आई है। चालू साल की पहली तिमाही में निराशा से घिरे ऐसे निवेशक 46% और दूसरी तिमाही में 48% थे, जो तीसरी तिमाही में 50% हो गए। तथास्तु में आज ऐसी कंपनी जिसे मंदी मार नहीं सकती…औरऔर भी

एक सरकार ही है जो मानने को तैयार नहीं। वरना आम से लेकर खास तक, हर कोई मान चुका है कि हमारी अर्थव्यवस्था की हालत खराब है। रिजर्व बैंक तक ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी की विकास दर का अनुमान अप्रैल के 7.2% से घटाकर अब 6.1% कर दिया है। ऐसे माहौल में शेयर बाज़ार पर सरकार की कोई जुगत काम नहीं कर रही। आखिर ऐसे में निवेश का नया तरीका क्या हो सकता है?औरऔर भी

हमारा समूचा वित्तीय-तंत्र भ्रष्ट है। बड़ों के हितों का पोषण और आम लोगों का शिकार करता है। यह हर्षद मेहता के समय से चल रहा है और आज भी बदस्तूर जारी है। वित्तीय साक्षरता का नारा यूपीए सरकार लगाती थी और एनडीए सरकार भी नकारती नहीं। लेकिन असली खेल से अनजान लोगों की लालच का फायदा उठाकर उन्हें ठगा जा रहा है। हमें यह जाल तोड़कर खुद नई राह निकालनी होगी। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

अगर लीक से अलग हटकर चलने का साहस है और भीड़ की सोच से अलग निवेश करना चाहते हैं तो दो बातें आपके लिए ज़रूरी हैं। एक तो आप को साफ पता होना चाहिए कि भीड़ या बहुमत की सोच गलत क्यों है। दूसरे, आप में धैर्य और पक्का यकीन होना चाहिए कि आपका तरीका सही क्यों है। इन दोनों ही पहलुओं पर खुद को कायदे से ठोंक-बजाकर परख लेना चाहिए। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

दुनिया हमेशा से भौतिक रही है और आगे भी रहेगी। लेकिन इसके सारे रिकॉर्ड, खासकर वित्तीय लेनदेन से जुड़े माध्यम डिजिटल होते जा रहे हैं। मुमकिन है कि भविष्य में भौतिक मुद्रा ही पूरी तरह खत्म हो जाए। इस पूरी प्रक्रिया ने बिजनेस की नई धारा पैदा कर दी है। यह एक ऐसा बिजनेस है जो दवा, इलाज व तेल-साबुन व टूथपेस्ट जैसे एफएमसीजी उत्पादों की तरह सदाबहार है। आज तथास्तु में इसी बिजनेस से जुड़ी कंपनी…औरऔर भी

हमारे शेयर बाज़ार में अभी जिस तरह की निराशा छाई है, वैसे कभी नहीं रही। सेंसेक्स और निफ्टी तो फिर भी संभले हुए हैं। लेकिन बाकी बाज़ार धराशाई है। पिछले 20 महीनों में बीएसई मिडकैप सूचकांक 28% और स्मॉलकैप सूचकांक 40% गिर चुका है। किसी को भरोसा नहीं कि यह दुर्दशा कब खत्म होगी। लेकिन यही वह आदर्श स्थिति है जब समझदार निवेशक बाज़ार में निवेश करने या बढ़ाने लगते हैं। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

बहुत सारे लोगों के लिए शेयर बाज़ार अब भी कैसिनो जैसा है जहां वे मनोरंजन और सनसनी के लिए आते हैं। वे ऊपर-ऊपर देखकर निवेश करते हैं और सोचते हैं कि उनका धन पलक झपकते ही कई गुना हो जाएगा। अगर धन बनाना इतना ही आसान होता तो लोग सारे धंधे छोड़कर शेयर बाज़ार को ही लपक लेते। यहां अंश देखकर पूरा सच जान लेने का भ्रम आत्मघाती साबित होता है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार की नब्ज़ डूबती जा रही है। बाज़ार बराबर उठते-उठते गिर जाता है। न अंदर की खबर दिलासा दिलाती है, न बाहर की खबरें उम्मीद जगाती हैं। गिनती नहीं कि कितनी कंपनियों के शेयर 52 हफ्ते ही नहीं, ऐतिहासिक तलहटी के आसपास हैं। लेकिन निराशा व हताशा का यह दौर अच्छी कंपनियों के शेयर खरीदने का अच्छा मौका दे रहा है। यकीन मानें, इस रात की सुबह ज़रूर होनी है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी