मार्च 2020 में सेंसेक्स 23% गिर गया। शेयर बाज़ार से निवेशकों के करीब 15 लाख करोड़ रुपए उड़ गए। विश्व वित्तीय संकट के आगाज़ के दौरान अक्टूबर 2008 में भी सेंसेक्स 24% गिरा था। पर, तब निवेशकों को इतना नुकसान नहीं हुआ था। जाहिर है बाज़ार अब तेज़ी से मंदी के चक्र में गिर चुका है। खरीदने का शानदार मौका। मगर, आम निवेशकों के पास बाज़ार में लगाने को धन ही नहीं। फिर भी पेश है तथास्तु…औरऔर भी

पिछले 30 दिनों में निफ्टी 26.59% गिरा है, जबकि रिलायंस 24.60%, इनफोसिस 17.96%, एचडीएफसी 23.76%, लार्सन एंड टुब्रो 32.29% और एचडीएफसी बैंक 25.02% गिर चुका है। जाहिर है, ऐसी मजबूत कंपनियों के शेयर आंधी में ज़मीन पर टपके पक्के आम की तरह हैं जिन्हें उठा लेना एक-दो साल में फायदे का सौदा साबित हो सकता है। इस वक्त बाज़ार में निवेश के अवसरों की कमी नहीं। ऐसे में आज तथास्तु में महज जानने के लिए एक कंपनी…औरऔर भी

कोरोना के कहर के चलते बीएसई सेंसेक्स इस साल 20 जनवरी के शिखर से 20 मार्च तक 29.23% गिर चुका है, वह भी तब जब 20 मार्च को 5.75% उछला है। शिखर पर वह 29 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा था। अभी लगभग 18 के पी/ई पर। निवेश की आदर्श स्थिति इसके 15 के पी/ई तक गिरने पर आएगी। फिर भी इस वक्त निवेश के बहुतेरे मौके हैं। आज तथास्तु में इनमें से एक मौका…औरऔर भी

सब कुछ आराम से चले तो उसे शेयर बाज़ार नहीं कहते। बीते हफ्ते के आखिरी दो दिन देश-दुनिया के बाज़ारों में जैसा हुआ, उसने 1987 के काले सोमवार की याद दिला दी। तब अमेरिका का डाउ जोन्स सूचकाक एक दिन में 22.6% गिर गया था। शुक्रवार को निफ्टी 10% गिरा तो निचला सर्किट लग गया। फिर उठा तो 3.81% बढ़कर बंद हुआ। एक दिन में 1600 अंक या 16% का चक्कर! अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

डेढ़ साल पहले 24 अगस्त 2018 को यस बैंक का शेयर 404 रुपए के शिखर पर था। लेकिन 6 मार्च 2020 को 5.50 रुपए तक लुढ़क गया। सारी की सारी पूंजी लगभग स्वाहा। ऐसा तब हुआ, जब यस बैंक का पूंजी पर्याप्तता अनुपात मार्च 2019 में 16.5% और सितंबर 2019 में 16.3% रहा है जबकि बासेल-3 का अंतरराष्ट्रीय मानक 10.5% का है। यह है शेयरों में निवेश का रिस्क। फिर भी तथास्तु में आज एक और बैंक…और भीऔर भी

इस समय शेयर बाज़ार की स्थिति साल 2008 जैसी हो गई है। वैसी ही निराशा हर तरफ छाई है। कोरोना वायरस का कहर कितना तबाही मचाएगा, पता नहीं। शुक्रवार को बाज़ार खुलने के 5 मिनट के भीतर ही निवेशकों के 5 लाख करोड़ रुपए उड़ गए। निवेशक घबराकर शेयरों से सोने की तरफ भाग रहे हैं। लेकिन समझदारी की बात करें तो यही वक्त है अच्छी कंपनियों में निवेश का। अब तथास्तु में आज की कंपनी…और भीऔर भी

भारतीय अर्थव्यवस्था की आंतरिक ताकत इतनी जबरदस्त है कि सरकार गलत से गलत नीतियां अपना लें, फिर भी यह पलटकर उठ खड़ी होती है। सरकार की अनीति और सच्चाई को ही नकारने के चलते हमारी आर्थिक विकास दर घटती जा रही है। लेकिन आश्चर्य है कि जनवरी 2020 में हमारा परचेजिंग मैनेजर्स सूचकांक (पीएमआई) आठ साल के रिकॉर्ड शिखर पर पहुंच गया। मतलब, देश का मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र उठने लगा है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…और भीऔर भी

देश में अच्छे लोगों की कमी नहीं है। लेकिन हमारी राजनीति में अच्छे लोगों को बहुत कम भाव मिलता है। हालांकि दिल्ली में अचानक ऐसे अच्छे लोग राजनीति में छा जाते हैं। शेयर बाज़ार में भी इस समय बहुत सारी अच्छी कंपनियों को भाव नही मिल रहा। लेकिन यकीन मानें कि जल्दी ही दिल्ली की राजनीति की तरह इन्हें भी इनका अंतर्निहित भाव मिलना शुरू हो जाएगा। आज तथास्तु में ऐसी ही संभावनामय, मगर दबी हुई कंपनी…और भीऔर भी

बजट ने अर्थव्यवस्था को भले ही निराश किया हो, लेकिन शेयर बाज़ार थोड़ा-सा झटका खाने के बाद दोबारा बजट-पूर्व स्थिति में आ गया। सेंसेक्स अब भी 24.49 के पी/ई पर ट्रे़ड हो रहा है, जबकि उसका दीर्घकालिक औसत पी/ई अनुपात 18-19 गुने का है। जाहिर है कि निवेश की माकूल रेंज में आने के लिए बाज़ार को 25% से ज्यादा गिरना होगा। क्या यह संभव है? न भी संभव हो तो पेश हैं निवेश लायक दो कंपनियां…और भीऔर भी

शेयर बाज़ार में तीन तरह की कंपनियां। पहली, जिनके शेयर बराबर चढ़ रहे हैं और तभी  तभी गिरते हैं जब धंधे या प्रबंधन पर चोट लग जाए। दूसरी, जिनके शेयर बंधे दायरे में भटक रहे हैं। तीसरी, जिनके शेयर लगातार गिरे जा रहे हैं और तभी उठते हैं जब उनसे जुड़ी कोई बड़ी अच्छी खबर आ जाए। पहली ट्रेडिंग के लिए मुफीद। तीसरी लंबे निवेश के लिए। मगर, बीच वाली बेकार। अब तथास्तु में आज की कंपनी…और भीऔर भी