एनसीएल इंडस्ट्रीज का नाम पहले नागार्जुन सीमेंट लिमिटेड हुआ करता था। पिछले 25 सालों से आंध्र प्रदेश में नागार्जुन ब्रांड का सीमेंट बेचती है। पिछले साल की जून तिमाही में 2.57 करोड़ रुपए का घाटा उठाया था। लेकिन इस साल की जून तिमाही में 16.95 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। इस बार उसकी बिक्री भी पूरे 84.08 फीसदी बढ़कर 122.14 करोड़ रुपए हो गई है। लेकिन इन नतीजों का खास असर अभी तक उसके शेयरोंऔरऔर भी

बाजार खुलते ही निफ्टी 5645 तक चला गया। लेकिन बड़ी साफ वजहों से खुद को इस स्तर पर टिकाए नहीं रख सका और धड़ाधड़ 5555 तक गिर गया। बंद हुआ है 0.83 फीसदी की गिरावट के साथ 5567.05 पर। ट्रेडर भौचक और भ्रमित हैं। उनका वही पुराना सवाल है कि बाजार इस तरह आखिर गिरा क्यों? तो प्यारे! यह रोलओवर की पुरानी तकलीफ है। इस डेरिवेटिव सेटलमेंट की एक्सपायरी में सिर्फ सात दिन बचे हैं। इस बीचऔरऔर भी

बाजार अगर थोड़ा इधर-उधर हो भी रहा है तो चिंता करने की कोई बात नहीं। यह बाजार के जमने का दौर है। अभी वह जितना ज्यादा खुद को जमाएगा, उतना ही ज्यादा उसके तेजी से उठने के आसार बढ़ जाएंगे। अगर निफ्टी 5500 के नीचे जाता है, तभी मंदी की धारणा पालिए और अगर यह 5780 को पार कर जाता है तो जबरदस्त तेजी के मूड में आ जाइए। आज तो यह महज 6.65 अंक गिरकर 5625.45औरऔर भी

वित्त मंत्री और रिजर्व बैंक के गवर्नर दो ऐसी शख्सियतें हैं जिनका एक-एक बयान शेयर बाजार को प्रभावित कर सकता है। सावधानी हटी दुर्घटना घटी। जरा-सा गलत बयान दे दिया तो बाजार में पलीता लग सकता है। लेकिन पहले पी चिदंबरम और अब प्रणव मुखर्जी कह चुके हैं कि उन्हें बाजार का उठना-गिरना नहीं समझ में आता। पिछले हफ्ते 3 मई को करीब सवा तीन बजे शाम सालाना मौद्रिक नीति पेश किए जाने के बाद रिजर्व बैंकऔरऔर भी

कल मेंने निफ्टी में सबसे बड़ा रोलओवर देखा जो साफ-साफ बताता है कि बाजार अब तेजड़ियों के कब्जे में आ गया है। मानसून का पहलू बाजार को कई तरीके से प्रभावित कर रहा है। अच्छे निवेश के आगम से बाजार अब काफी ऊंचाई तक पहुंचने का रुख कर रहा है। हम वित्त वर्ष 2009-10 को पीछे छोड़ रहे हैं और यकीनन यह शानदार विकास का साक्षी रहा है। अब हम नए वित्त वर्ष 2010-11 में कंपनियों कीऔरऔर भी