सरकार की योजना है कि डाकखानों का इस्तेमाल उन इलाकों में बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराने की है, जो अभी तक इससे वंचित हैं। नए साल में इस योजना को अमली जामा पहनाए जाने की उम्मीद है। संचार मंत्रालय ने इस आशय का प्रस्ताव मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय के पास भेज दिया है। इस योजना के तहत 1.55 लाख डाकखानों से बैंकों का काम लेने का भी प्रस्ताव है ताकि ग्रामीण इलाकों में सरकार के वित्तीय समावेशऔरऔर भी

भारतीय डाक ने वित्तीय जागरूकता के प्रचार-प्रसार के लिए नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के साथ खास करार किया है। इसके तहत वह देश भर के चुनिंदा डाकघरों में एलसीडी टीवी स्क्रीन लगाकर शेयर बाजार की रोजमर्रा की गतिविधियों को दिखाएगा। सोमवार को राजधानी दिल्ली में भारतीय डाक व एनएसई के बीच इस आशय के एमओयू या सहमति पत्र पर भारतीय डाक की महाप्रबंधक अलका झा और एनएसई के वाइस प्रेसिडेंट टी वेंकटराव ने हस्ताक्षर किए। इस करारऔरऔर भी

भारतीय डाक ने वि‍‍भि‍न्‍न देशों के लि‍ए वी़ज़ा सम्‍बन्‍धी सुवि‍धाएं डाकघरों के जरि‍ए उपलब्‍ध कराने के लि‍ए वीएफएस ग्‍लोबल नाम की वैश्विक फर्म के साथ सहमति‍ पत्र पर हस्‍ताक्षर ‍कि‍ए हैं। यह हस्‍ताक्ष्‍ार इसी हफ्ते मंगलवार, 30 अगस्‍त को डाक वि‍भाग के सचि‍व व अधि‍कारि‍यों और वीएफएस ग्‍लोबल के अधि‍कारि‍यों की मौजूदगी में ‍कि‍या गया। सहमति पत्र के अनुसार उन डाकघरों के जरिए दूरदराज के उन इलाकों में वीज़ा सम्‍बन्‍धी सुवि‍धाएं उपलब्‍ध कराई जाएंगी जहां ये सुवि‍धाएंऔरऔर भी

फैब इंडिया के अपने मुख्य स्टोर पर भारतीय डाक का एक अलग काउंटर खोला है जहां से ग्राहक देश ही नहीं, विदेश तक में स्टोर से खरीदा गया माल भेज सकते हैं। यह भारतीय डाक और फैब इंडिया के बीच पहली पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप की शुरूआत की है। मंगलावर को नई दिल्ली में ग्रेटर कैलाश स्थित स्टोर पर इस काउंटर का संयुक्त रूप से उद्घाटन केंद्र सरकार में डाक विभाग की राधिका दुरईस्वामी और फेबइंडिया ओवरसीज़ प्रा. लिमिटेडऔरऔर भी

ई-मेल और मोबाइल फोन के आज के युग से काफी पहले सत्रहवीं सदी के शुरू में भारत में एक हिस्से से दूरे हिस्से तक कबूतरों, नंगे पांव दौड़नेवाले वाहकों और बैलगाड़ियों के जरिए संदेश पहुंचाए जाते थे। भारतीय डाक व्यवस्था के तमाम पहलुओं पर स्टीव बोर्गिया ने एक नई किताब ‘पिजंस टू पोस्ट’ लिखी है। यह किताब लगभग दो हजार साल पुराने भारतीय डाक तंत्र का इतिहास बताती है। इसमें पुराने डाकखानों, सैकड़ों साल पुराने जीर्ण शीर्णऔरऔर भी

भारतीय डाक विभाग ने विदेशी खतों पर रजिस्ट्रेशन शुल्क चुपचाप 15 रुपए से बढ़ाकर 50 रुपए कर दिया है और इसकी कोई आधिकारिक सूचना तक नहीं दी गई है। केंद्रीय संचार व सूचना तकनीक मंत्रालय से जुड़े इस महकमे ने अपनी वेबसाइट पर अब भी रजिस्ट्रेशन शुल्क की राशि 15 रुपए घोषित कर रखी है। लेकिन जानकारों के मुताबिक इसे 1 मई 2010 से ही बढ़ा दिया गया है। हालांकि विभाग की दलील है कि यह दरेंऔरऔर भी