डाकखाने बनेंगे बैंक, प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को

सरकार की योजना है कि डाकखानों का इस्तेमाल उन इलाकों में बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराने की है, जो अभी तक इससे वंचित हैं। नए साल में इस योजना को अमली जामा पहनाए जाने की उम्मीद है। संचार मंत्रालय ने इस आशय का प्रस्ताव मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय के पास भेज दिया है।

इस योजना के तहत 1.55 लाख डाकखानों से बैंकों का काम लेने का भी प्रस्ताव है ताकि ग्रामीण इलाकों में सरकार के वित्तीय समावेश लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिल सके। अगर यह योजना सिरे चढ़ती है तो देश के बैंकिंग नेटवर्क में एक ही झटके में तीन गुना वृद्धि हो जाएगी।

देश में लगभग 90 फीसदी डाकखाने ग्रामीण इलाकों में हैं। वहीं 87,000 बैंक शाखाओं में से लगभग 24,000 ग्रामीण भारत में हैं। भारतीय डाक यानी इंडिया पोस्ट दुनिया का सबसे बड़ा डाक नेटवर्क है जिसका बड़ा हिस्सा, लगभग 1.4 लाख डाकखाने ग्रामीण इलाकों में है।

यह विचार काफी समय से चल रहा है और जुलाई में संचार मंत्री कपिल सिब्बल ने इस बारे में फिर ध्यान खींचा। हालांकि योजना को अमली जामा पहनाने से पहले बैंकिंग व डाक क्षेत्र के प्रशासन से जुड़े कानूनों में व्यापक बदलाव की जरूरत है।

जानकार सूत्रों ने बताया कि बैंकिंग लाइसेंस के लिए आवेदन करने से पहले, कुछ प्रक्रियाएं पूरी करनी होंगी। इन पर काम चल रहा है और प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय के पास भेजा गया है ताकि उसकी मंजूरी ली जा सके। ऐसे में नए साल में 113 साल पुराने डाकघर कानून में कुछ संशोधन देखने को मिल सकते हैं, जिनके जरिए इस क्षेत्र को कुछ और खोला जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *