मुद्रास्फीति को लेकर रिजर्व बैंक कुछ हद तक निश्चिंत हो गया है। लेकिन इतना नहीं कि मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही में ब्याज दरों में कटौती कर दे। मंगलवार को सुबह 11 बजे रिजर्व बैंक नए मौद्रिक उपायों की घोषणा करने जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक मुद्रा बाजार में इस समय जिस तरह तरलता की किल्लत चल रही है, उसमें पूरे आसार इस बात के हैं कि वह नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में आधा फीसदी कटौतीऔरऔर भी

एक चक्र है जो अनवरत चलता रहता है। समय की घड़ी में कोई चाभी भरने की जरूरत नहीं। न ही उसमें नई बैटरी लगानी पड़ती है। समय के साथ हर चीज परिपक्व होती है। पेड़-पौधों से लेकर इंसान और ज्ञान व परंपरा तक। अप्रैल में इस कॉलम को दो साल पूरे हो जाएंगे। नहीं पता कि यहां दिया जा रहा ‘अर्थ’ आपके कितने ‘काम’ का बन पाया है। इसे तो आप ही बेहतर बता सकते हैं। हां,औरऔर भी

पहले औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आंकड़ों ने खुशखबरी दी कि नवंबर में यह 5.9 फीसदी बढ़ गया है। फिर दिसंबर की मुद्रास्फीति ने साफ कर दिया कि करीब दो साल से अर्थव्यवस्था के सीने पर धमधम करता बोझ हल्का पड़ गया है। सोमवार को वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक सकल मुद्रास्फीति की दर दिसंबर 2011 में 7.47 फीसदी रही है। इससे पिछले महीने नवबंर में यह 9.11 फीसदी थी औरऔरऔर भी

दिसंबर की मुद्रास्फीति के आधिकारिक आंकड़े अगले हफ्ते के पहले दिन 16 जनवरी को आएंगे। लेकिन ज्यादातर विशेषज्ञों का यह मानना है कि यह दर 7.5 फीसदी पर आ जाएगी और रिजर्व बैंक मार्च के अंत तक इसे 7 फीसदी पर लाने का लक्ष्य आराम से हासिल कर लेगा। वैश्विक स्तर की वित्तीय सेवा कंपनी क्रेडिट सुइस का तो मानना है कि यह घटकर 6.5 फीसदी पर आ जाएगी और अगले साल 2013 तक नीची ही बनीऔरऔर भी

बाजार में ढाई बजे तक गिरावट का माहौल रहा। फिर वह उठने लगा। लेकिन 4794.90 तक जाने के बावजूद कमोबेश कल के समान स्तर 4754.10 पर बंद हुआ। वैसे, इस बार की गिरावट भी मुझे बेहतर लग रही है क्योंकि बहुत सारे स्टॉक्स खास किस्म की चमक दिखा रहे हैं जिसका मतलब है कि उनके जमने की प्रक्रिया जारी है। बाजार जमने में जितना ज्यादा वक्त लगाएगा, उसमें बढ़त का लक्ष्य उतना ही उठता जाएगा। खाद्य मुद्रास्फीतिऔरऔर भी

उम्मीद है कि रुपया पिछले कुछ महीनों से चल रही गिरावट का सिलसिला तोड़कर अब स्थिर हो जाएगा। अगर ऐसा नहीं होता तो उसमें आई तेज हलचल को रोकने के लिए रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करने को तैयार है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने गुरुवार को सिंगापुर में आयोजित एक समारोह में यह बात कही। उन्होंने कहा, “हम किसी भी तेज एकतरफा हलचल को रोकने के लिए मजबूत कदम उठाएंगे।” उन्होंनेऔरऔर भी

इस समय जो-जो चीजें किसानों के पास बहुतायत में हैं, उन सभी की कीमत में भारी गिरावट के कारण खाद्य मुद्रास्फीति की दर शून्य से नीचे पहुंच गई है। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार 24 दिसंबर 2011 को समाप्त सप्ताह में थोक मूल्यों पर आधारिक खाद्य मुद्रास्फीति की दर (-) 3.36 फीसदी रही है। लेकिन किसानों के पास जो चीजें नहीं हैं, मसलन दूध, फल, दाल व मांस-मछली व अंडे, उनऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ने संकेत दिया है कि अब वह मौद्रिक नीति में नरमी ला सकता है। दूसरे शब्दों में ब्याज दरों में कमी कर सकता है। रिजर्व बैंक के गवर्नर दुव्वरि सुब्बाराव ने बीबीसी को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा, “यहां से हम मौद्रिक नीति को कड़ा करने की प्रक्रिया के पलटने की उम्मीद कर सकते हैं।” बता दें कि रिजर्व बैंक मार्च 2010 के बाद से मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए 13 बार ब्याजऔरऔर भी

आप सभी को नया साल मुबारक। बीते साल जिस दुख और तकलीफ से आप गुजरे हैं, उसकी कोई भी अनदेखी नहीं कर सकता। ऊपर से गिरावट का शोर थमा नहीं है। निफ्टी के और गिरकर 4200 व 3800 पहुंचने के अनुमान भले ही मूलभूत आर्थिक पहलुओं पर खरे न उतरते हों, लेकिन चार्टों और टेक्निकल एनालिसिस का सहारा लेकर अब भी यही भोंपू बजाया जा रहा है। सरकार ने विदेशी निवेशकों को भारतीय कंपनियों में शेयर हिस्सेदारीऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति शून्य के करीब पहुंच चुकी है। चीन ब्याज दरों में कटौती के मूड में है। भारत भी ब्याज दरों में कटौती से मुंह नहीं मोड़ सकता। इन सारी बातों से यही लगता है कि बाजार को अब पलटकर बढ़ना चाहिए। सेबी ने माना है कि आईपीओ में धांधली होती है और इनमें निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है। लेकिन तथ्य यह है कि सबसे ज्यादा नुकसान खुद भारत सरकार को हुआ है क्योंकि आईपीओ मेंऔरऔर भी