दुनिया में साल 2020 तक हीरे की मांग हर साल 6 फीसदी की दर से बढ़ती जाएगी और बढ़ती मांग में सबसे ज्यादा योगदान भारत और चीन का होगा। दुबई से मिली एक ख़बर के अनुसार अगले नौ सालों में दुनिया में हीरे की आपूर्ति जहां सालाना 2.8 फीसदी की दर से बढ़ेगी, वहीं हीरे की मांग में छह फीसदी सालाना का इजाफा होगा। बेन एंड कंपनी द्वारा जारी 2011 वैश्विक हीरा उद्योग रिपोर्ट में कहा गयाऔरऔर भी

भारत दुनिया की खबरों पर बार-बार उठ्ठक-बैठक कर रहा है, जबकि सबसे विकट हालत में फंसे देश अमेरिका का शेयर सूचकांक, डाउ जोंस 12,000 के स्तर को कसकर पकड़े बैठा है। जब भी कभी यह 12,000 के नीचे जाता है तो फौरन रॉकेट की तरह खटाक से वापस आ जाता है। इसी तरह एस एंड पी 500 सूचकांक ने भी एक ढर्रा बना रखा है और 1250 के आसपास खुद को जमा रहा है। यह उसका ब्रेक-आउटऔरऔर भी

आर्थिक रफ्तार के थमने ने कम से कम चीन को इतनी सद्बुद्धि तो दे दी कि उसने बैंकों के लिए निर्धारित कैश रिजर्व अनुपात में कमी कर दी है, जबकि इसकी अपेक्षा भारत में की जा रही थी। अपने यहां तो लगता है कि राजनीति देश और देशवासियों से ज्यादा बड़ी हो गई है। देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) महज 6.9 फीसदी बढ़ा, जो 2009 के न्यूनतम स्तर 5.5 फीसदी के काफी करीब है। ऐसे मेंऔरऔर भी

देश में भले ही स्विटजरलैड के बैंकों में रखे काले धन को लेकर राजनीतिक माहौल बना दिया गया हो, लेकिन भावना से परे हटकर देखें तो यह रकम बहुत मामूली है। स्विटजरलैंड के केंद्रीय बैंक के मुताबिक उनके देश के बैंकों में रखे गए विदेशी नागरिकों के कुल धन में भारतीयों का हिस्सा महज 0.07 फीसदी है। यह पाकिस्तान से भी कम है। जैसे अपना केंद्रीय बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक है, वैसे ही स्विटजरलैंड का केंद्रीय बैंक,औरऔर भी

बहुत मुमकिन है कि आपने गांवों में कुंओं पर चलनेवाली रहट नहीं देखी होगी। मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती जैसे पुराने गानों में देख सकते हैं। एक चक्र में चलती है रहट। खाली कूप नीचे जाता है और पानी भरकर ऊपर आ जाता है। नीचे जाकर मूल्यवान बनने का ऐसा ही चक्र हमारे शेयर बाजार में भी चलता है। हां, यहां रहट एक जगह टिकी नहीं रहती, बल्कि वह भी कंपनी का मूल्य बढ़नेऔरऔर भी

प्लेथिको फार्मास्यूटिकल्स जड़ी-बूटी पर आधारित फॉर्मूलेशन, पोषण से जुड़े उत्पाद और एलोपैथिक दवाएं बनाती है। जड़ी-बूटी व पोषण सेगमेंट में उसके प्रमुख ब्रांड हैं ट्राविसिल, माउंटेन हर्ब्स व कोच फॉर्मूला, जबकि एलोपैथिक दवाओं के उसके खास ब्रांड हैं थेरासिल और इफरटैब। लेकिन स्टॉक के लिहाज से इसमें सबसे खास बात यह लगती है कि प्रवर्तक इससे एकदम चिपके हुए हैं। उन्होंने कंपनी की 34.07 करोड़ रुपए की इक्विटी का 87.01 फीसदी अपने पास रख रखा है। एफआईआईऔरऔर भी

नितिन फायर प्रोटेक्शन इंडस्ट्रीज (बीएसई कोड – 532854, एनएसई कोड – NITINFIRE) तीन दशक पुरानी कंपनी है। तमाम अग्निशामक उपकरणों के साथ ही सीएनजी सिलेंडर भी बनाती है। राजस्थान के एक ऑयल ब्लॉक से कच्चा तेल निकालने के लिए बने कंसोर्टियम में भी 10 फीसदी हिस्सेदारी रखती है। उसकी एक सब्सिडियरी ने दुबई की एक फायर प्रोटेक्शन कंपनी में 40 फीसदी हिस्सेदारी ले रखी है। चालू वित्त वर्ष 2010-11 में जून की तिमाही में उसकी आय 67.3औरऔर भी

हीरों की खदानें भले ही अफ्रीकी देशों, आस्ट्रेलिया, कनाडा और रूस में हों, लेकिन दुनिया के हर 11 हीरों में से नौ को तराशने और पॉलिश करने का काम सूरत में होता है। सूरत का हीरा उद्योग 65,000 करोड़ रुपए का है। वहां इसकी करीब 4500 इकाइयां हैं। दुनिया में रफ डायमंड की 70-80 सप्लाई डी बीयर्स, अलरोसा, रियो टिन्टो व बीएचपी बिलिटन जैसी अंतरराष्ट्रीय खनन कंपनियां करती हैं। इसमें अकेले डी बीयर्स का हिस्सा 45-50 फीसदीऔरऔर भी

जिन भारतीयों ने अपना काला धन स्विस बैंकों में रखा था, उन्होंने कानूनी शिकंजे से बचने के लिए नया तरीका ईजाद कर लिया है। वे इन गुप्त खातों से धन निकाल कर दुबई या सिंगापुर के फ्री ट्रेड ज़ोन की किसी कंपनी में लगाते हैं जहां उनसे धन का स्रोत नहीं पूछा जाता। कंपनी अपना कमीशन काटकर कुछ समय बाद स्विस बैंक में नया खाता खोलकर वही रकम कॉरपोरेट डिपॉजिट के रूप में डाल देती है औरऔरऔर भी