अपने शेयर बाजार में, लगता है जैसे तूफान के पहले की शांति चल रही है। दिन के दिन में 2 फीसदी से ज्यादा उछल जानेवाले सूचकांक सीमित दायरे में बंध कर रह गए हैं। जैसे, शुक्रवार 2 नवंबर को निफ्टी नीचे में 5682.55 से ऊपर में 5711.30 तक, यानी 28.75 अंक के दायरे में ही घूम गया। सेंसेक्स का भी यही हाल है। महीने भर पहले 3 अक्टूबर को सेंसेक्स 18,869.69 पर बंद हुआ था तो 2औरऔर भी

ला ओपाला क्रॉकरी और कांच व क्रिस्टल बनी चीजों का ऐसा ब्रांड है जिसकी कोई काट बड़ी मुश्किल है। यह ब्रांड क्वालिटी का पर्याय है। इसके सामान महंगे जरूर हैं। लेकिन देश का बढ़ता मध्य वर्ग इन्हें लपककर खरीदता है। इसे बनानेवाली कंपनी है ला ओपला आरजी लिमिटेड। नाम से लगता है जैसे फ्रांस की कोई कंपनी हो। लेकिन यह पूरी तरह देशी कंपनी है। सुशील झुनझुनवाला इसके प्रबंध निदेशक हैं जो राकेश झुनझुनवाला के रिश्तेदार नहींऔरऔर भी

किसी शेयर के बढ़ने या गिरने से निवेशक पर क्या फर्क पड़ता है? क्या टेक्निकल एनालिस्टों के चार्ट चलते हैं या फंडामेंटल ही शेयर का दमखम तय करते हैं? मेरी राय में आखिरकार फंडामेंटल ही काम करते हैं और हकीकत यही है कि बाजार से चार्ट बनते हैं, न कि चार्ज बाजार को बनाते हैं। हमने हीरो होंडा में बिक्री की पहली कॉल 1926 रुपए पर दी और यह स्टॉक अब गिरते-गिरते 1700 रुपए पर आ गयाऔरऔर भी

निवेश की दुनिया की जानीमानी फर्म नोमुरा सिक्यूरिटीज के प्रतिनिधि ने आज ब्लूमबर्ग को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा कि वे भारतीय बाजार के प्रति अब न इधर की, न उधर की, बस बीच की राय रखते हैं। सही बात है कि सेंसेक्स का 18,000 पर पहुंचना एफआईआई तक के बीच बाजार के महंगा होने की थोड़ी झुरझुरी पैदा कर सकता है। लेकिन मेरा यकीन मानिए। एफआईआई ने केवल जुलाई महीने में बाजार में 16,000 करोड़औरऔर भी

बीएसई के बी ग्रुप की कंपनी स्टाइलम इंडस्ट्रीज का शेयर सुबह-सुबह 4.74 फीसदी बढ़कर 42 रुपए पर पहुंच गया। इसमें सर्किट लिमिट ऊपर में 48.10 रुपए की है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2009-10 में 64.79 करोड़ रुपए की आय पर 4.37 करोड़ का कर-पूर्व लाभ और 3 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। उसकी प्रति शेयर कमाई (ईपीएस) अभी 4.10 रुपए है। कंपनी ने इस साल कुल 15 फीसदी लाभांश दिया है। रिसर्च के आधार परऔरऔर भी