गंगा नगर से ईटा नगर और लेह से लक्षद्वीप तक छोटे-बडे सभी व्यापारी व कारोबारी परेशान हैं। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जिस माल व सेवा कर या जीएसटी को ‘गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स’ की जगह ‘गुड एंड सिम्पल टैक्स’ बता रहे हैं, व्यापारी तबका उसे ‘गड़बड़ सड़बड़ टैक्स’ कह रहा है। दोनों में से सही कौन है? इसके जवाब में धूमिल की सीख याद आती है कि लोहे का स्वाद लोहार से मत पूछो, उस घोड़े से पूछो जिसके मुंहऔरऔर भी

सरकार ने सेवा और केन्द्रीय उत्पाद शुल्क पर समान कर संहिता की संभाव्यता का पता लगाने के वास्ते एम के गुप्ता की अध्यक्षता में एक अध्ययन दल का गठन किया है। यह कदम इस साल के बजट भाषण में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा की गई घोषणा के अनुरूप उठाया गया है। अध्ययन दल दो कानूनों को सुसंगत बनाने के सुझाव देगा। मालूम हो कि एम के गुप्ता भारतीय राजस्व सेवा के सेवानिवृत अधिकारी है और सीमाऔरऔर भी

दुनिया की सन्नामी रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एस एंड पी) ने कहा है कि भारत का आम बजट उसकी रेटिंग (BBB-/Stable/A-3) पर थोड़ा नकारात्मक असर डाल सकता है। उसका कहना है कि वित्त मंत्री ने खजाने की व्यवस्था के संबंधित तमाम सुधार घोषित किए हैं, लेकिन माल व सेवा कर (जीएसटी), प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) औप सब्सिडी सीधे लक्ष्य तक पहुंचाने जैसे अहम सुधारों के अमल के वक्त को लेकर अनिश्चितता बरकरार है। साथ ही भारतऔरऔर भी

बाजार की चाल निराली है। वित्त मंत्री के बजट भाषण शुरू करने के आधे घंटे में इसकी दशा-दिशा दिखाने वाला सूचकांक निफ्टी 5445.65 की ऊंचाई तक जा पहुंचा। फिर गिरने-उठने लगा और आखिर में कल से 1.16 फीसदी की गिरावट के साथ 5317.90 पर बंद हुआ। मुझे भी लगता है कि बजट में ऐसा कुछ नहीं, जिसे खास माना जाए। निजी आयकर में छूट की सीमा को 20,000 रुपए बढ़ा देने से लोगों की खर्च करने कीऔरऔर भी

सुब्बु सब जानता है। बचत खाते की 6 फीसदी ब्याज दर पर कोटक महिंद्रा बैंक का यह विज्ञापन आपने देखा ही होगा। शेयर बाजार के बारे में भी यही कहा जाता है कि वह सब जानता है। आप उसे चौंका नहीं सकते क्योंकि उसे पहले से सब पता रहता है। लेकिन यह आंशिक सच है, पूरा नहीं। ज़िंदगी की तरह बाजार में भी चौंकने की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। बाजार हमेशा वर्तमान को पचाकर और भविष्यऔरऔर भी

सरकार माल व सेवा कर (जीएसटी) को जल्दी से जल्दी लागू करने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बुधवार को राजधानी दिल्ली में आयोजित सीमा शुल्‍क और केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्क विभाग के एक समारोह के दौरान यह बात कही। उनका कहना था कि जीएसटी देश के अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के इतिहास में सबसे अहम सुधार है। उद्योग व व्यापार जगत ही नहीं, तमाम अर्थशास्त्री व विशेषज्ञ मेंऔरऔर भी

अगर भारत इसी तरह बढ़ता रहा और आर्थिक ताकत हासिल करता रहा तो हम दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए स्थिरता का स्रोत बन सकते हैं और बेचैन भटक रही वैश्विक पूंजी का सुरक्षित ठिकाना बन सकते हैं। यह आशा जताई है वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने। उन्होंने सोमवार को राजधानी दिल्ली में भारतीय आर्थिक सेवा के स्वर्ण जयंती समारोह में यह बात कही। वित्त मंत्री ने कहा कि आज जैसी वैश्विक जिम्मेदारी है, भारत के ऊपर पिछलेऔरऔर भी

प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) और माल व सेवाकर (जीएसटी) पर अमल अप्रैल 2012 से पहले नहीं हो सकता। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी सोमवार को आम बजट में इसका ऐलान कर सकते हैं। लेकिन इस बीच पूरी संभावना है कि वे नए वित्त वर्ष 2011-12 के बजट में आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर दो लाख रुपए कर देंगे। अभी यह सीमा 1.60 लाख रुपए की है। सूत्रों के मुताबिक इसके अलावा विश्व बाजार में कच्चे तेल के बढ़तेऔरऔर भी

मुद्रास्फीति की ऊंची दरों के चलते अब डीजल के दाम बढ़ाने का फैसला अगले वित्त वर्ष तक टाला जा सकता है। यह कहना है कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन सी रंगराजन का। उन्होंने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट को बताया कि, “शायद मार्च 2011 तक अगर मुद्रास्फीति की दर 6 फीसदी के आसपास आ जाती है तो उस वक्त संभवतः डीजल के मूल्यों को बढ़ाया जा सकता है।” पिछले हफ्ते इस मुद्दे पर वित्त मंत्रीऔरऔर भी

खुद वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अब स्वीकार कर लिया है कि पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार माल व सेवा कर (जीएसटी) को 1 अप्रैल 2011 से लागू करना संभव नहीं है। उन्होंने बुधवार को मुंबई में इनकम टैक्स, कस्टम्स व सेंट्रल एक्साइज के चीफ कमिश्नरों और कमिश्नरों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा, “मैंने अपनी तरफ से जीएसटी के लिए संविधान संशोधन विधेयक को संसद के मानसून सत्र में लाने की हरसंभव कोशिश की। आपऔरऔर भी