सरकार की नवरत्न कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपीसीएल) को चालू वित्त वर्ष 2011-12 की पहली तिमाही में 3080.26 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। यह घाटा साल भर पहले इसी तिमाही में हुए 1884.29 करोड़ रुपए के घाटे के डेढ़ गुने से ज्यादा है। महज एक तिमाही का यह घाटा बीते पूरे वित्त वर्ष 2010-11 में हुए 1539.01 करोड़ रुपए के शुद्ध लाभ को पचा जाने के लिए काफी है। इस घाटे की सीधी-सी वजह यह है किऔरऔर भी

शेयरों में निवेश कोई घाटा खाने या कंपनियों से रिश्तेदारी निभाने के लिए नहीं करता। अभी हर तरफ गिरावट का आलम है, अच्छे खासे सितारे टूट-टूटकर गिर रहे हैं तो ऐसे में क्या करना चाहिए? जो वाकई लंबे समय के निवेशक हैं, रिटायरमेंट की सोचकर रखे हुए हैं, उनकी बात अलग है। लेकिन अनिश्चितता से भरे इस दौर में शेयर बाजार में लांग टर्म निवेश का क्या सचमुच कोई मतलब है? लोगबाग दुनिया के मशहूर निवेशक वॉरेनऔरऔर भी

यकीनन, आप भी इस बात से इत्तेफाक करेंगे कि शेयर बाजार से पैसे कमाने का आदर्श तरीका है – सबसे कम भाव पर खरीदो और अधिकतम भाव पर बेचकर निकल जाओ। लेकिन व्यवहार में ऐसा हो नहीं पाता क्योंकि जब कोई शेयर अपने न्यूनतम स्तर पर होता है तब हमें लगता है कि यह तो डूब रहा है, अभी और नीचे जाएगा। वहीं, जब शेयर बढ़ रहा होता है तब हमें लगता है कि अभी और ऊपरऔरऔर भी

मास्टेक लिमिटेड के चेयरमैन, प्रबंध निदेशक और सीईओ भी सुधाकर राम हैं। मैं तो उनके विचारों का मुरीद हूं। आप भी पढेंगे तो कायल हो जाएंगे। करीब डेढ़ साल पहले शिक्षा पर मैंने उनका लेख पढ़ा था जिसमें उन्होंने एक अनुसंधान का जिक्र करते हुए लिखा था कि चार साल की उम्र तक लगभग हर बच्चा जीनियस होता है। फिर मैंने मास्टेक फाउंडेशन की तरफ से चलाई जानेवाली वेबसाइट पर उनके कई लेख पढ़े और इस शख्सऔरऔर भी

कॉरपोरेट दुनिया में हालात इतनी तेजी से बदल जाते हैं कि बहुत सावधान न रहिए तो चूक हो ही जाती है। हमने 17 जून 2010 को जब बसंत कुमार बिड़ला समूह की नामी कंपनी केसोराम इंडस्ट्रीज के बारे में लिखा था, तब उसका शेयर 328.95 रुपए पर था। शेयर की बुक वैल्यू इससे ज्यादा 335.97 रुपए थी। टीटीएम ईपीएस 51.88 रुपए तो शेयर मात्र 6.3 पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा था। लगा कि बिड़ला परिवार कीऔरऔर भी

खबरें अक्सर किसी शेयर को तात्कालिक आवेग देने का काम करती हैं। कभी-कभी यह भी होता है कि खबर को पहले ही बाजार डिस्काउंट करके चलता है तो उसके उजागर होने के फौरन बाद उसका असर नहीं होता। ऐसी ही खबर पिछले हफ्ते बाजार बंद होने के एक दिन बाद शनिवार को आई है सरकारी कंपनी आईटीआई लिमिटेड के बारे में। एक सरकारी अधिकारी के हवाले बताया गया कि आईटीआई में निर्णायक हिस्सेदारी देने के लिए नएऔरऔर भी

हरियाणा के उपभोक्ता, सरकार और उद्योग महंगी बिजली के जबरदस्त कुचक्र में फंस गये हैं। बिजली कंपनियों का घाटा पिछले चार गुना बढ़ाकर पिछले 1400 करोड़ पर पहुंच गया है। राज्य सरकार अपना खजाना फूंक कर बाजार से दोगुनी अधिक कीमत में बिजली खरीद रही है। इसी को कहते हैं घर फूंक कर रोशन करना। कर्ज लेकर घी पीना। राज्य की बिजली कंपनियां बिजली की जगह घाटा बना रही हैं। बिजली क्षेत्र की यह बदहाली आने वालेऔरऔर भी