आज मार्च के डेरिवेटिव सौदों के सेटलमेंट का दिन है। यानी, जबरदस्त उठापटक का दिन। आज आम ट्रेडरों या निवेशकों की नहीं, ऑपरेटरों की मर्जी चलती है। जो जितना बलवान, वो उतना धनवान। जानकार बताते हैं कि निफ्टी में सेटलमेंट 5665 के आसपास हो सकता है, जबकि नीचे में यह 5610 के ऊपर टिके रखने की हरचंद कोशिश करेगा। इस बीच विदेशी निवेशक संस्थाओं की खरीद और घरेलू निवेशक संस्थाओं की बिक्री का सिलसिला जारी है। मंगलऔरऔर भी

दाग हमेशा तो नहीं, लेकिन कभी-कभी अच्छे होते हैं। एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के आला अधिकारी पर रिश्वतखोरी का दाग नहीं लगता तो उसके शेयर 36.77 फीसदी नहीं गिरते। 23 नवंबर को इस कांड के उजागर होने से पहले 23 नवंबर को यह शेयर 261.63 रुपए पर था और 10 दिसंबर को 165.41 तक गिर गया। हालांकि तब यह शेयर दस रुपए का अंकित मूल्य का था और उसका वास्तविक भाव 1308.15 रुपए से गिरकर 827.05 रुपए तकऔरऔर भी

बाजार की हालत दुरुस्त हो चली है और एफआईआई ने अच्छे शेयरों को बटोरना शुरू कर दिया है। मीडिया की सुर्खियां भी दिखाती हैं कि हाउसिंग लोन घोटाले या रिश्वतखोरी का मामला अब धीरे-धीरे सम हो रहा है। हालांकि बाजार के लोगों को अब भी समझ में नहीं आया है कि यह गिरावट एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) निवेशकों और ऑपरेटरों को ठिकाने लगाने के लिए थी क्योंकि रिटेल ने कोई खास खरीद कर नहीं रखी थी। खरीदऔरऔर भी

शुक्रवार को सूत्रों के हवाले दिन भर खबर आती रही कि पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी इस बात की जांच कर रही है कि हाउसिंग लोन घोटाले में शामिल लोगों व फर्मों ने कुछ कंपनियों के शेयरों में इनसाइडर ट्रेडिंग तो नहीं की है। असल में इसमें एलआईसी के सचिव (निवेश) नरेश चोपड़ा पर यही आरोप है कि वह मनी मैटर्स फाइनेंशियल से रिश्वत लेकर उन कंपनियों की जानकारी दिया करता है जिनमें एलआईसी निवेश करनेवाली है।औरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और बीमा कंपनियों को हिदायत दी है कि वे उन तमाम कंपनियों से जुड़े लेन-देन की कायदे से जांच करें जिनके नाम सीबीआई ने हाउसिंग लोन घोटाले के सिलसिले में अदालत में दाखिल अर्जी में लिखे हैं। उन्होंने इन सभी संस्थाओं से कहा कि वे नामजद कंपनियों को दिए गए ऋणों का स्वतंत्र आकलन करें और देखें कि इनमें निर्धारित मानकों का पालन कहां तकऔरऔर भी

हाउसिंग लोन घोटाले में सीबीआई ने 17 कंपनियों को नोटिस भेजा है। इनमें से पांच कंपनियों के बारे में सीबीआई का कहना है कि इन्होंने बैंक अधिकारियों को घूस देकर हासिल करीब 1000 करोड़ रुपए के कर्ज की रकम शेयर बाजार में लगा दी। दो प्रमुख बिजनेस चैनलों ने सूत्रों के हवाले यह खबर दी है। उनका कहना है कि इसमें से एक कंपनी ने 560 करोड़, दूसरी ने 300 करोड़ और बाकी तीन ने 50-60 करोड़औरऔर भी