पूंजी बाजार नियामक संस्था, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने तय किया है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) को शॉर्ट सेलिंग के लिए उधार दिए गए शेयरों की सूचना अब हर कारोबारी दिन के बजाय हफ्ते में केवल एक दिन शुक्रवार को देनी होगी। लेकिन अगर वे अगर अपने विदेशी क्लाएंट को पार्टिसिपेटरी नोट (पीएन) जारी करते हैं तो उन्हें इसकी सूचना तत्काल देनी होगी। सेबी ने एफआईआई और उनके सभी कस्टोडियन के नाम मंगलवार कोऔरऔर भी

ए ग्रुप के शेयर अब थोड़ा आराम करेंगे और इनमें से वही विशेष शेयर चलेंगे जिनमें कोई नया समाचार आएगा। बाजार के स्टार परफॉर्मर होंगे अब बी ग्रुप के शेयर। गिलैंडर्स, गल्फ ऑयल और विमप्लास्ट जैसे शेयरों में वोल्यूम का धमाका हो सकता है। हो सकता है जब साल भर बाद इन शेयरों के मूल्य कई गुना हो जाएं तब आप वीआईपी की तरह बात करेंगे और एफआईआई खरीदार होंगे। इस समय तो ऑपरेटरों ने इनके बाजारऔरऔर भी

रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) की एजीएम के एजेंडा के बारे में कल एक ऐसी अफवाह उड़ाई गई, जो सचमुच बेहद चौंकानेवाली थी। बड़ी अजीब बात है कि प्रबंधन कुछ तय करे या न करे, बाजार के खिलाड़ी उससे पहले ही मनगढ़ंत एजेंडा तय कर देते हैं। आज सुबह हमारी मीटिंग में इस पर चर्चा हुई और पाया गया कि आरआईएल के बारे में उड़ाई गई बात एकदम असंभव है। यह उसी तरह की शरारत थी जैसी हमने कलऔरऔर भी

बाजार में अगले कुछ कारोबारी सत्रों को लेकर हमारी धारणा तेजी की नहीं है। इसलिए हमने कुछ पुरानी कॉल्स को छोड़कर, जिन्हें थोड़ा समय चाहिए, बाकी सारी बकाया कॉल्स रोक दी हैं। कारण, हम बाजार में दोबारा घुसने के लिए माकूल वक्त का इंतजार करना चाहते हैं। प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) का संशोधित मसौदा बाजार के लिए वाकई बुरा है क्योंकि एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) शेयरों के सौदों पर टैक्स देना नहीं पसंद करेंगे। अभी तक एफआईआईऔरऔर भी

इस समय भारतीय शेयर बाजार में कुल 1702 एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) और उनसे जुड़े 5382 सब-एकाउंट काम कर रहे हैं। एफआईआई तो अमेरिका से लेकर ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस जैसे तमाम देशों के हैं। लेकिन ज्यादातर सब-एकाउंट मॉरीशस के हैं। म़ॉरीशस का पता रखने से फायदा यह होता है कि उन्हें भारतीय शेयर बाजार से की गई कमाई पर किसी भी सूरत में कोई टैक्स नहीं देना पड़ता। दूसरी तरफ भारतीय निवेशक को एक साल केऔरऔर भी

जिस तरह आईसीआईसीआई बैंक ने राजस्थान बैंक को खरीद लिया है, उसी तरह कर्नाटक बैंक भी किसी दिन बिक सकता है। बस दिक्कत यह है कि इसके सौदे को अंजाम देने के लिए किसी भी मर्चेंट बैंकर को बड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी क्योंकि इसका कोई प्रवर्तक ही नहीं है। इसकी सारी की सारी 133.99 करोड़ रुपए की इक्विटी 82,043 शेयरधारकों में विभाजित है। बड़े शेयरधारकों में 16 देशी-विदेशी संस्थाएं ऐसी हैं जिनके पास कर्नाटक बैंक की 31.37औरऔर भी