शेयर बाज़ार में कामयाब लोगों की एक-एक हरकत सोची-समझी, जानी-बूझी होती है। यहां अनायास कुछ नहीं होता। हां, पूरी सृष्टि में अनिश्चितता है तो यहां भी कोई उसे मिटा नहीं सकता। लेकिन उसे साधने की पुरजोर कोशिश जरूर होती है। यहां दो तरह के लोग होते हैं। एक वे, जो जानते हैं कि क्या कर रहे हैं। दूसरे वे, जो सिर उठाकर रातोंरात अमीर बनने चले आते हैं। पहले बराबर कमाते हैं, जबकि दूसरे बराबर पिटते हैं।औरऔर भी

हम हिंदुस्तानी जुगाड़ तंत्र में बहुत उस्ताद हैं। फाइनेंस और शेयर बाज़ार दुनिया में उद्योगीकरण में मदद और उसके फल में सबकी भागीदारी के लिए विकसित हुए। लेकिन हमने उसे भोलेभाले अनजान लोगों को लूटने का ज़रिया बना लिया। इसलिए शेयर बाज़ार की ठगनेवाली छवि हवा से नहीं बनी है। पिछले हफ्ते हमारे एक सुधी पाठक के एस गुप्ता जी ने एक किस्सा लिख भेजा कि शेयर बाज़ार में पैसा कैसे डूबता है। वो किस्सा यूं है…औरऔर भी

आपने भी देखा होगा कि किसी स्टॉक के बजाय लोगों की आम दिलचस्पी इसमें होती है कि बाज़ार कहां जा रहा है। जैसे कोई मिलने पर पूछता है कि क्या हालचाल है, उसी तरह शेयर बाज़ार से वास्ता रखनेवाले छूटते ही पूछ बैठते हैं कि सेंसेक्स या निफ्टी कहां जा रहा है। चूंकि सेंसेक्स में शामिल सभी तीस कंपनियां निफ्टी की पचास कंपनियों में शामिल हैं। इसलिए हाल-फिलहाल बाज़ार कहां जा रहा है, का मतलब होता हैऔरऔर भी

लोकतंत्र और बाज़ार में सारा खेल नंबरों का है। बड़ी-बड़ी बातें और भावुक फेंकमबाज़ी फालतू है। कांग्रेस भ्रष्ट। बीजेपी भी खिलाड़ी। दोनों को कर्णाटक में लोगों से वोट दिए। लेकिन 37% पाकर कांग्रेस जीत गई, जबकि बीजेपी व उससे छिटके दोनों दल कुल सूत भर कम वोट पाकर हार गए। बाज़ार में भी सूत भर का अंतर चलता है। डिमांड ज्यादा कि सप्लाई? हां, यहां भाव और मूल्य का अंतर भी अहम है। अभी आज का बाज़ार…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में लालच के भाव से उतरना गलत ही नहीं, घातक है। निवेश का मकसद अपनी बचत को समय की मार से बचाना है। जो समय पर सवारी कर रहे हैं, बचत को उन्हीं की पीठ पर रखकर हम निश्चिंत हो जाते हैं। वहीं, ट्रेडिंग शुद्ध रूप से नए ज़माने का बिजनेस है। इसमें बहुत कुछ नया है। तकनीक है, तरीके हैं। इन्हें सीखना-समझना है। वरना है तो मूलतः व्यापार। अभी की हालत बड़ी चित्र-विचित्र है…औरऔर भी

निवेश और ट्रेडिंग में कामयाबी के तरीके अलग-अलग हैं। लेकिन भाव समान है। निवेश के बारे में कहते हैं कि जब लोग उछल-कूद रहे हों, तब आप शांत रहते हुए उल्टा सोचें। ट्रेडिंग के बारे में मानते हैं कि दिग्गज जिधर भाग रहे हों, उसी दिशा को शांत मन से सबसे पहले पकड़ लें। दोनों में शांत मन समान है। यह बनता है गहनतम समझदारी और ज्ञान से, छिछलेपन से नहीं। उतरते हैं आज के बाज़ार में…औरऔर भी

फेसबुक के आईपीओ को साल भर हो गए। 38 डॉलर का शेयर 28.31 डॉलर पर है। उस आईपीओ पर यह दाग भी लगा था कि उससे जुड़ी फर्मों मॉरगन स्टैनले, गोल्डमैन सैक्श व जेपी मॉरगन ने बड़े ग्राहकों को अंदर की अहम जानकारियां बांटी थीं जिससे छोटे निवेशकों को तगड़ी चोट लगी। अपने यहां कंपनी की कृपा पर जीते एनालिस्टों और मर्चेंट बैंकरों का खेल तो इससे भी विकराल है। ऐसे अधम बाज़ार में कैसे करें शिकार…औरऔर भी

आज सुबह 11 बजे शेयर बाज़ार को ज़ोर का झटका लगेगा, धीरे या तेज़ी से। बाज़ार माने बैठा है कि ब्याज दर में 0.25% कमी होगी। ऐसा हो गया, तब भी और न हुआ, तब भी बाज़ार गहरा होता लगा सकता है। लेकिन खुदा-न-खास्ता रिजर्व बैंक ने अगर ब्याज दर को 0.50% घटाकर सीधे 7% कर दिया, तब तो बाज़ार तेजी से उछल सकता है। हालांकि इसकी उम्मीद न के बराबर है। देखते हैं ज़रा बारीकी से…औरऔर भी

पहली बात। नोट बनाए नहीं, कमाए जाते हैं। नोट किसी देश का केंद्रीय बैंक बनाता है। उसमें भी मूल्य बाज़ार डालता है, वो नहीं। दूसरी बात। ट्रेडर के लिए अनुशासन, जोखिम की क्षमता और गिनती में दक्षता के अलावा तीन जरूरी चीज़ें हैं नियंत्रित मन, व्यवस्थित धन व समयसिद्ध पद्धति। मन को स्थितिप्रज्ञ बनाना पड़ता है। धन कितना भी हो, उसे सही तरीके से लगाना चाहिए। पद्धति को बराबर मांजना होता है। अब देखें आज का बाज़ार…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में निवेश करना मुश्किल नहीं। अच्छी कंपनी चुनो और धन लगाकर निश्चिंत हो जाओ। पर सफल ट्रेडर बनना हर किसी के बूते की बात नहीं। इसके लिए जोखिम उठाने की कुव्वत, अनुशासन और गिनती में पक्का होना जरूरी है। सिगरेट जैसी लत न छोड़ पाने वाला, हर दमड़ी को दांत से दबाने वाला या सरल गुणा-भाग में चकराने वाला शख्स कभी भी अच्छा ट्रेडर नहीं बन सकता। सोच लें आप। हम बना लें आज की रणनीति…औरऔर भी