जो अपरिहार्य था, जिसे होना ही था, आखिरकार वही हो रहा है। भारतीय बैंकिंग सेक्टर को मूडीज ने एसबीआई के नतीजों के बाद डाउनग्रेड किया तो उसके एक दिन बाद ही स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एस एंड पी) ने उसे अपग्रेड कर दिया। इससे कहीं न कहीं यह स्पष्ट संदेश मिलता है कि डाउनग्रेड और अपग्रेड करना ऐसे सिंडीकेट की चाल है जिसका मकसद भारतीय बाजार को अपने इशारों पर नचाना है। जो निवेशक भगवान मानकर ऐसा करनेवालों काऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी से गए हुए चंद्रशेखर भास्कर भावे को अभी तीन महीने भी नहीं बीते हैं कि उनके पुराने कर्मों की स्थगित पड़ताल शुरू हो गई है। सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसका बोर्ड 2003-06 के आईपीओ घोटाले में डिपॉजिटरी सेवा कंपनी, एनएसडीएल को क्लीनचिट देने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को तैयार है। उक्त तीन सालों में एनएसडीएल के प्रमुख सी बी भावे ही थे। सुप्रीम कोर्ट की एकऔरऔर भी

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने साल 2003 से 2005 के दौरान हुए आईपीओ घोटाले में ब्रोकर फर्म व डीपी (डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट) मोतीलाल ओसवाल सिक्यूरिटीज को एक कंसेंट ऑर्डर के तहत बरी कर दिया है। यह कंसेंट ऑर्डर पारित तो 6 मई को हुआ था, लेकिन इसे सार्वजनिक सोमवार 10 मई को किया गया। मोतीलाल ओसवाल सिक्यूरिटीज के खिलाफ सेबी की कार्यवाही अप्रैल 2006 से ही चल रही थी। लेकिन जनवरी 2010 में ब्रोकर फर्म नेऔरऔर भी