समय-सिद्ध है एसआरएफ की मजबूती

एमआरएफ अलग है और एसआरएफ अलग। एमआरएफ टायर बनाती है, जबकि एसआरएफ टायर कॉर्ड फैब्रिक बनाती है जो साइकिल से लेकर भारी वाहनों तक के टायरों में इस्तेमाल होता है। एसआरएफ दुनिया में ‘नाइलोन 6’ टायर कॉर्ड और बेल्टिंग फैब्रिक की दूसरी सबसे बड़ी निर्माता है। बेल्टिंग फैब्रिक का उपयोग कनवेयर बेल्ट बनाने में होता है। कंपनी कोटेड फ्रैबिक्स भी बनाती है जो कृषि व रक्षा क्षेत्र में इस्तेमाल किए जाते हैं।

रसायनों में वह फ्लूरो-केमिकल्स व स्पेशियलिटीज बनाती है जो रेफ्रिजरेशन व एयर कंडीशनिग में प्रयुक्त होते हैं। वह पैकेजिंग में भी सक्रिय है। पॉलिएस्टर फिल्म बनाती है जो खाद्य वस्तुओं, कॉस्मेटिक्स और परसनल व हेल्थकेयर उत्पादों की पैकेजिंग में इस्तेमाल होते हैं। कंपनी ने लैमिनेटेड फैब्रिक्स भी बनाने शुरू किए हैं। इसका संयंत्र उसने काशीपुर (उत्तराखंड) में लगाया है जिसमें करीब सवा साल पहले व्यावसायिक उत्पादन शुरू हुआ है। कंपनी के आठ संयंत्र भारत में हैं, जबकि संयुक्त अरब अमीरात, थाईलैंड व दक्षिण अफ्रीका में एक-एक संयंत्र है। वह 665 करोड़ रुपए की विस्तार परियोजना के तहत दक्षिण अफ्रीका में एक और गुजरात में एक नया संयंत्र लगाने जा रही है।

कंपनी डीसीएम समूह से ताल्लुक रखती है। इसकी शुरूआत 1970 में श्री राम फाइबर्स के नाम से हुई थी जो बाद में छोटा होकर एसआरएफ हो गया। कंपनी के चेयरमैन अरुण भरतराम हैं। टेक्निकल टेक्सटाइल निर्माता इस कंपनी की तमाम टेक्निकल बातों को किनारे रख दें तो वह वित्तीय मोर्चे पर अपनी लोच व दृढ़ता साबित कर चुकी है। 2008-09 की आर्थिक सुस्ती के दौरान भी उसने 17 फीसदी वृद्धि दर हासिल की थी। 2009-10 में उसकी विकास दर 32 फीसदी रही है।

कंपनी ने दस दिन पहले 9 मई को अपने सालाना नतीजे घोषित किए हैं। इनके मुताबिक वित्त वर्ष 2010-11 में उसकी बिक्री 36.91 फीसदी बढ़कर 2986.06 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 56.24 फीसदी बढ़कर 483.44 करोड़ रुपए हो गया है। कंपनी का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 51.14 रुपए से बढ़कर 79.90 रुपए हो गया है। अगर इसकी सब्सडियरी इकाइयों को भी मिला दें तो कंपनी का ईपीएस 53.62 रुपए से 80.03 रुपए हो गया है।

कंपनी का 10 रुपए अंकित मूल्य का शेयर (बीएसई – 503806, एनएसई – SRF) अभी 309.50 रुपए पर चल रहा है। ईपीएस के अद्यतन आंकड़ों के देखते हुए वह 3.87 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। हालांकि इस स्टॉक को बाजार ज्यादा भाव नहीं देता। जनवरी 2007 में यह 14.17 के पी/ई पर ट्रेड हुआ था। उसके बाद तो इसका अधिकतम पी/ई अनुपात 7.60 का रहा है जो उसने इस साल जनवरी 2011 में हासिल किया है। वैसे हर साल जनवरी में इस शेयर में तेजी आने का स्पष्ट पैटर्न रहा है। बीते अप्रैल माह में इसका अधिकतम पी/ई अनुपात 7.53 रहा है। इस लिहाज से देखें तो एसआरएफ में मौजूदा स्तर से 30 फीसदी बढ़ने की भरपूर गुंजाइश है। मान लीजिए 5 का भी पी/ई लेते हैं तो इसका भाव 400 रुपए के आसपास होना चाहिए।

इसमें कोई दो राय नहीं कि कंपनी लगातार बढ़ रही है। मार्च 2011 की तिमाही में उसकी बिक्री 25.23 फीसदी और शुद्ध लाभ 22.98 फीसदी बढ़ा है। इससे पहले की चार तिमाहियों में उसकी बिक्री में औसतन 44 फीसदी और लाभ में 81 फीसदी की वृद्धि हुई है। दिसंबर 2010 की तिमाही में तो कंपनी का लाभ 355 फीसदी बढ़ गया था। लेकिन 20 जनवरी 2011 को इन नतीजों की घोषणा के वक्त उसका शेयर 354.70 रुपए पर था। 18 फरवरी को 303.80 रुपए पर था, 18 मार्च को 309.70 रुपए पर आया, 18 अप्रैल को 352.85 पर पहुंच गया। लेकिन अब 309.50 रुपए पर आ गया है। यह तब हो रहा है जबकि कंपनी खुद अपने शेयर को अधिकतम 380 रुपए पर वापस खरीदने या बायबैक का ओपन ऑफर लेकर आई हुई है। कंपनी ने 6 मई 2011 तक 334.38 रुपए प्रति शेयर के औसत मूल्य पर 1.97 करोड़ रुपए के शेयर बायबैक किए हैं। कंपनी का लक्ष्य कुल 90 करोड़ रुपए के शेयर वापस खरीदने का है।

कंपनी की मौजूदा इक्विटी 60.50 करोड़ रुपए है। इसका 52.56 फीसदी हिस्सा पब्लिक और बाकी 47.44 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास हैं। पब्लिक के हिस्से में से कंपनी के 13.23 फीसदी शेयर एफआईआई और 12.22 फीसदी शेयर डीआईआई (घरेलू निवेशक संस्थाओं) के पास हैं। बायबैक के बाद कंपनी की इक्विटी घटेगी और सप्लाई घटने से आम नियम के तहत उसके शेयर का बाजार भाव बढ़ना चाहिए। दूर की सोच रखनेवाले इस शेयर में निश्चिंत होकर निवेश कर सकते हैं।

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