किसी भी एक्जिट पोल ने ऐसा नहीं कहा था और न ही किसी राजनीतिक विश्लेषक ने ऐसा सोचा था कि उत्तर प्रदेश की 403 सीटों वाली विधानसभा में मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी को 224 सीटों का जबरदस्त बहुमत मिल जाएगा। मुलायम तो राजनीतिक अखाड़े के पुराने पहलवान हैं और अब तक चुनावी वादों के प्रति एकदम संवेदनहीन हो चुके होंगे। लेकिन सपा के राज्य अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि वे चुनाव प्रचार के दौरान और पार्टी के घोषणापत्र में किए गए वादों पर अमल करेंगे।
नया मुल्ला ज्यादा प्याज खाता है, अगर इस अंदाज में उत्तर प्रदेश की सपा सरकार ने वादों पर वाकई अमल करना शुरू कर दिया तो राज्य के खजाने में भारी सेंध लग सकती है। नए वित्त वर्ष 2012-12 में 12,171.29 करोड़ रुपए की राजस्व बचत दिखानेवाली उत्तर प्रदेश सरकार खटाक से 10,300 करोड़ रुपए से ज्यादा के राजस्व घाटे में आ जाएगी। कारण, सपा ने किसानों की कर्जमाफी की जो घोषणा की है, उस पर एकमुश्त करीब 11,500 करोड़ रुपए खर्च होगा। अन्य लोकलुभावन योजनाओं पर हर साल इसके ऊपर से कम से कम होनेवाला 11,000 करोड़ रुपए का खर्च अलग है।
किसानों की कर्जमाफी के बारे में सपा का चुनाव घोषणापत्र यूं तो चुप है। लेकिन मुलायम सिंह यादव ने कहा था और जीत के बाद अखिलेश ने इसे दोहराया भी है कि उनकी सरकार किसानों के 50,000 रुपए तक के सारे कर्ज माफ कर देगी। बैंक ऑफ बड़ौदा की अध्यक्षता में बनी राज्यस्तरीय बैंकर्स कमिटी के अनुसार दिसंबर 2011 तक कुल बकाया कृषि ऋण 57,700 करोड़ रुपए का था। यूं तो उत्तर प्रदेश के 90 फीसदी किसान लघु या सीमांत किसान हैं और छोटा ऋण ही लेते हैं। फिर भी अगर 50,000 रुपए तक के ऋणों का हिस्सा कुल बकाया ऋण में 20 फीसदी भी मानें तो मुलायम सरकार को 11,500 करोड़ रुपए के ज्यादा के ऋण माफ करने होंगे।
सपा ने कहा है कि वह फसलों का समर्थन मूल्य वास्तविक लागत से 50 फीसदी ज्यादा रखेगी। सरकार फसलों की अद्यतन लागत का पता लगाने के लिए विशेषत्रों की एक समिति बनाएगी जो तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। सरकार गेहूं से लेकर धान तक का समर्थन मूल्य इससे 50 फीसदी ज्यादा रखेगी। जानकारों की गणना के अनुसार गन्ना समेत सारी फसलों को मिलाकर इससे राज्य सरकार को साल भर में लगभग 6000 करोड़ रुपए ज्यादा खर्च करने पड़ेंगे।
सपा ने अपने चुनाव घोषणापत्र में किसानों को मुफ्त बिजली देने का वादा किया है। 2009-10 में उत्तर प्रदेश बिजली निगम को किसानों से 1532.14 करोड़ रुपए का राजस्व मिला था। जाहिरा तौर पर अब राज्य सरकार को यह राजस्व नहीं मिलेगा। इसी तरह सिंचाई के मुफ्त पानी के वादे पर अमल से सरकार को 589.45 करोड़ रुपए के राजस्व से हाथ धोना पड़ेगा। पार्टी ने यह भी कहा है कि वह इंटरमीडिएट पास सभी विद्यार्थियों को मुफ्ट लैपटॉप और हाईस्कूल पास विद्यार्थियों को मुफ्त टैबलेट उपलब्ध कराएगी।
साल 2011 में राज्य में इंटरमीडियट पास विद्यार्थी 15.90 लाख और हाईस्कूल पास विद्यार्थी 22.93 लाख रहे हैं। लैपटॉप का 10,000 और टैबलेट का 1000 रुपए भी पकड़ कर चलें तो इस मद पर सरकार का खर्च 1819.30 करोड़ रुपए आता है। समाजवादी पार्टी ने यह भी वादा किया है कि वह सरकारी नौकरी पाने की उम्र बढ़ाकर 35 साल कर देगी और जो लोग इस उम्र तक नौकरी नहीं पा सकेंगे, उन्हें 1000 रुपए महीने का बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। हालांकि राज्य में 35 साल के ऊपर के बेरोजगारों का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। लेकिन साल 2006 में मुलायम ने 25 से 35 साल तक के बेरोजगार स्नातकों को महीने में 500 रुपए भत्ता देने की स्कीम शुरू की थी, तब उस पर करीब 500 करोड़ रुपए का खर्च आया था। इसलिए इस बार का खर्च आराम से 1000 करोड़ रुपए माना जा सकता है।
इस तरह 11,500 करोड़ रुपए की किसानों की कर्जमाफी के अलावा बाकी चंद चुनावी वादों पर हर साल होनेवाले खर्च की कुल रकम 10,940.89 करोड़ रुपए निकलती है। इसके अलावा आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को मुफ्त किताब, 65 साल के ऊपर के किसानों को पेंशन, सड़क किनारे बैठनेवाले मोचियों को पक्की दुकान, सौर ऊर्जा पर चलनेवाले रिक्शा, कन्या विद्या धन और मुस्लिम छात्राओं को उच्च शिक्षा या शादी के लिए 30,000 रुपए का अनुदान जैसी तमाम स्कीमें हैं जो राज्य सरकार के खजाने को खोखला कर सकती हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार के अनुमान के मुताबिक 2012-13 में राज्य की राजस्व प्राप्तियां 1,56,576.60 करोड़ रुपए की रहेंगी, जबकि राजस्व लेखे का व्यय 1,44,405.31 करोड़ रुपए रहेगा। इस तरह नए साल में राज्य को 12,172.29 करोड़ रुपए की राजस्व बचत का अनुमान है। लेकिन अखिलेश यादव के दावे के अनुसार अगर राज्य की नई मुलायम सरकार अपने वादों पर अडिग रही तो पहले ही साल प्रदेश को 10,328 करोड़ रुपए का राजस्व घाटा हो सकता है।