सिकागेन इंडिया (बीएसई – 533014, एनएसई – SICAGEN) कभी सिकाल लॉजिस्टिक्स का हिस्सा हुआ करती थी। सिकाल लॉजिस्टिक्स ने करीब तीन साल पहले मद्रास हाईकोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद अपने नॉन-लॉजिस्टिक्स बिजनेस को सिकागेन इंडिया के रूप में डीमर्ज कर दिया। तब सिकाल लॉजिस्टिक्स के हर शेयरधारक को सिकागेन इंडिया का 10 रुपए अंकित मूल्य का शेयर 74.50 रुपए प्रीमियम यानी, 84.50 रुपए पर एलॉट किया गया था। आज सिकागेन का वही शेयर गिरते-गिरते 19 रुपए पर आ गया है। कल ही इसमें तीन फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है।
अजित ने कल अपनी टिप्पणी में बताया कि उन्होंने सिकागेन इंडिया के 1500 शेयर 26.50 रुपए के औसत भाव से लिए हैं। क्या करें क्योंकि 11 नवंबर 2010 को 36 रुपए पर 52 हफ्ते का शिखर पकड़ने के बाद यह गिरता ही जा रहा है? पहली बात, शेयरों के लिए ज्योतिषी को हाथ दिखाने की स्थिति नहीं होनी चाहिए कि हम पूछते फिरें कि पंडित जी, बताइए मेरा भविष्य क्या होगा। अरे, आप खुद पता लगाइए। ढोंगी पंडितों के चक्कर में क्यों पड़ते हैं जो आपके दम पर ही फलते हैं और जमकर फूलते हैं।
हर लिस्टेड कंपनी का कच्चा-चिठ्ठा उसकी वेबसाइट से लेकर स्टॉक एक्सचेंजों तक के पास सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध रहता है। ऐसी हर कंपनी को अच्छी-बुरी हर बात नियमतः सारे शेयरधारकों के सामने रखनी होती है। हम इन जानकारियों की तह में पहुंच कर कंपनी की दशा-दिशा का अंदाजा खुद लगा सकते हैं। यहां ज्योतिषी के पीछे भागने जैसी स्थिति नहीं होनी चाहिए क्योंकि ऐसे ‘ज्ञानी’ महात्मा सिर्फ आपकी घबराहट का फायदा उठाते हैं। कंपनी के बारे में जितना सच है, उतना आप भी थोड़ी मेहनत से जान सकते हैं। बाकी कयासबाजी और टिप्स को लेकर परेशान नहीं होना चाहिए।
सिकागेन इंडिया दक्षिण भारत की कंपनी है। उसका मुख्य धंधा है बिल्डिंग मैटीरियल (स्टील से लेकर पीवीसी पाइप व सीमेंट तक) की ट्रेडिंग। वह टाटा स्टील, सेल, जिंदल पाइप्स, फिनोलेक्स केबल्स, सुप्रीम इंडस्ट्रीज, महाराष्ट्र सीमलेस और एसीसी सीमेंट जैसी कंपनियों की अधिकृत डिस्ट्रीब्यूटर है। इसके अलावा उसके पांच डिवीजन हैं जिनमें ट्रक जैसे वाहनों की बिक्री (तमिलनाडु में टाटा मोटर्स की प्रमुख डीलर), बोट व शिप बिल्डिंग, ड्रम व बैरल का निर्माण, विशिष्ट इको-केमिकल बनाना और गवर्नर सेवाएं शामिल हैं। कंपनी के ग्राहकों में बिजली व उर्वरक संयंत्र से लेकर शिपिंग व तेल कंपनियों तक शामिल हैं।
दिसंबर 2010 की तिमाही में कंपनी की आय 117.6 करोड़ रुपए रही है जिसमें से 163.23 करोड़ रुपए ट्रेडिंग से आए थे। इस अवधि में 87.28 लाख रुपए का टैक्स देने के बाद उसका शुद्ध लाभ 4.65 करोड़ रुपए रहा, जबकि दिसंबर 2009 की तिमाही में उसने 35.82 लाख रुपए का कर्ज देने के बाद 3.27 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। इस तरह दिसंबर तिमाही में कंपनी का शुद्ध लाभ 43.5 फीसदी बढ़ा है। फिर भी 31 जनवरी 2011 को इन नतीजों की घोषणा के बाद इसका शेयर 24 रुपए से घटकर 18.30 रुपए तक लुढक गया।
बाजार का ऐसा बर्ताव नहीं समझ में आता। कारण, सिकागेन इंडिया का ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 5.79 रुपए है। इस तरह 19 रुपए के मौजूदा भाव पर उसका पी/ई अनुपात निकलता 3.28, जी हां! मात्र 3.28!!! वह भी तब, जब 332.86 करोड़ रुपए के अच्छे-खासे रिजर्व के चलते शेयर की बुक वैल्यू ही मौजूदा बाजार भाव से पांच गुनी 97.33 रुपए है। वित्तीय रूप से मजबूत शेयरों की ऐसी दुर्गति होती रही हो तो आम निवेशक तो बाजार से भाग ही जाएगा। फिर तो यहां खिलाड़ियों का नंगा नाच ही चलेगा जो न तो इस देश और न ही इस देश की अर्थव्यवस्था के लिए शुभ है।
कंपनी की इक्विटी 39.57 करोड़ रुपए है। इसका 56.83 फीसदी पब्लिक और 43.17 फीसदी प्रवर्तकों के पास है। एफआईआई के पास इसके 2.44 फीसदी और डीआईआई के पास 0.61 फीसदी शेयर हैं। कंपनी के शेयरधारकों की कुल संख्या 46,728 है। उसके बड़े शेयरधारकों में ट्विनशील्ड कंसलटेंट्स (7.88 फीसदी), प्रज्ञा इक्विटीज (3.03 फीसदी), रेलिगेयर फिनवेस्ट (1.60 फीसदी) और ईशा सिक्यूरिटीज (1.11 फीसदी) शामिल हैं। हां, एक और बात। कंपनी सिंगापुर की विल्सन केबल्स प्रा. लिमिटेड का अधिग्रहण 50 करोड़ रुपए में करने जा रही है। इसके लिए उसने सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं।
Many Thanks Anil for Clerification