वहां से निवेश निकला तो जाएगा कहां

जापान में परमाणु बिजली संयंत्रों में धमाकों के बाद हो रहे रेडियोएक्टिव विकिरण से वहां के जन-जीवन पर खतरा बढ़ता जाएगा। इससे पूरे पूर्वी एशिया की जलवायु तक बिगड़ सकती है। फिर भी यह कारण नहीं बन सकता. बाजार को छोड़कर भाग जाने का। हमेशा देखा गया है कि जब भी कोई संकट आता है कि विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) बाजार से बेचकर निकल लेते हैं। अगर मान लें कि वे जापान से बड़े पैमाने पर निवेश निकाल रहे हैं तो आखिरकार वे इसे लगाएंगे कहां?

क्या ताइवान, कोरिया, इंडोनेशिया और मलयेशिया में, जहां कभी भी भूकंप और सुनामी आने का भारी खतरा है? कतई नहीं। इसलिए तर्कसंगत बात यही लगती है कि उनका नया निवेश भारत में आना चाहिए जहां शेयर बाजार का संकेतक सेंसेक्स 18,000 के स्तर से बहुत ज्यादा इधर-उधर नहीं हो रहा। इसका मतलब यह है कि भारतीय बाजार ने लाभ के डाउनग्रेड, राजनीतिक मसलों, कच्चे तेल की स्थिति और यहां तक कि जापान के मौजूदा संकट तक को पूरी तरह समायोजित कर लिया है।

आज सुबह पौ दस बजे के आसपास सेंसेक्स करीब 591 अंक और निफ्टी 116 अंक गिर गया। लगा कि यहां भी कोई सुनामी आनेवाली है। लेकिन दिन बढ़ने के साथ-साथ बाजार संभलता गया। सेंसेक्स 271.84 अंक की गिरावट के साथ 18,167.64 और निफ्टी 70.70 अंक की गिरावट के साथ 5460.80 पर बंद हुआ है। साफ है कि बाजार तमाम उठा-पटक के बावजूद एक तरह का ठहराव दिखा रहा है।

वैसे, आज के हालात में हो सकता है कि शॉर्ट सेलिंग करनेवाले और बढ़ जाएं। लेकिन अतीत गवाह है कि ऐसे सभी मौकों के बाद बाजार ने बढ़त हासिल की है। मेरे दिमाग में भारतीय बाजार की दशा-दिशा को लेकर जरा-सा भी शक-शुबहा नहीं है। नया वित्त वर्ष शुरू होने और इस वित्त वर्ष की चौथी तिमाही व सालाना नतीजों का सिलसिला शुरू होने में बस दो हफ्ते बचे हैं। इस तिमाही में कंपनियों का मुनाफा उम्मीद से बेहतर रहने की उम्मीद है। रिजर्व बैंक हो सकता है कि ब्याज दरें न बढ़ाए क्योंकि निजी क्षेत्र के बैंक पहले ही इसे बढ़ाकर तरलता सोख चुके हैं।

हालांकि मैं इस वक्त बाजार की चिंता करने के लिए जापानी बंधुओं के लिए प्रार्थना करना ज्यादा मुनासिब समझता हूं। जहां तक अपने निवेश की बात है तो मुझे यकीन है कि वह 100 फीसदी रिटर्न देगा। ट्रेडरों तक के लिए हमारा बाजार इस समय अच्छा मौका पेश कर रहा है। अभी तो 99 बेचनेवाले हैं और एक खरीदनेवाला है। इसलिए बाजार में हर गिरावट के बाद बहुत तेजी से पलटकर उठने का रुझान रहेगा। कृपया यह बात हमेशा ध्यान में रखिए।

अव्यवस्था के शिकार किसी देश के लिए पहला अचूक इलाज है मुद्रा को महंगा कर देना। दूसरा है युद्ध। ये दोनों ही फौरी समृद्धि लाते हैं। लेकिन स्थाई बरबादी की वजह बन जाते हैं। इसके बावजूद राजनीतिक और आर्थिक अवसरवादी इन्हीं का सहारा लेते हैं।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

2 Comments

  1. Hi,

    I have 1500 shares of Sicagen India with Avg Price 26.50 but can you please tell me what will be future of this stock because form November it is going down continuously.

    Regards,
    Ajit Kumar

  2. Which Share is best going for average in this falling market / which sector is good for coming days for next 1 year???

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