अगर किसी भी ब्रोकर ने पूरा मार्जिन लिए बगैर अपने ग्राहक को डेरिवेटिव बाजार में ट्रेड करने दिया तो उसे भारी पेनाल्टी देनी होगी। पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने गुरुवार को सभी स्टॉक एक्सचेंजों को भेजे एक सर्कुलर में यह निर्देश दिया है। उसका कहना है कि एक्सचेंजों को ब्रोकरों को ऐसी कोई ढील नहीं देकर उन पर पेनाल्टी लगानी चाहिए। एक्सचेंजों को इस सर्कुलर पर अमल 1 सितंबर 2011 से करना है।
सेबी का कहना है कि हर दिन का न्यूनतम जुर्माना निर्धारित मार्जिन राशि का 0.5 फीसदी हो सकता है। अगर तीन दिन तक ग्राहक बिना पूरा मार्जिन दिए डेरिवेटिव्स (फ्यूचर्स व ऑप्शंस) में ट्रेडिंग करता है तो उस पर बकाया मार्जिन का 5 फीसदी जुर्माना लगाया जाएगा। पांच दिनों से ज्यादा की चूक के बाद यह अर्थदंड बढ़ता जाएगा। सेबी का कहना है कि यह नियम इक्विटी से लेकर करेंसी डेरिवेटिव कारोबार पर लागू होगा और उसने इसे बीएसई, एनएसई, एमसीएक्स-एसएक्स और यूएसई (यूनाइटेड स्टॉक एक्सचेंज) के साथ विचार-विमर्श के बाद बनाया है।
सर्कुलर के मुताबिक अगर पाया गया कि ब्रोकर ने ग्राहकों से लिए मार्जिन के बारे में झूठी जानकारी दी है तो उस पर कुल बकाया रकम का 100 फीसदी जुर्माना लगाया जा सकता है। स्टॉक एक्सचेंजों को मार्जिन राशि में कमी पर सारा जुर्माना किसी भी महीने के अंतिम कामकाजी दिन से पांच दिन पहले तक जुटा लेना होगा। यह धन एक्सचेंज के इनवेस्टर प्रोटेक्शन फंड में चला जाएगा।
बता दें कि ब्रोकर अपने ग्राहक को डेरिवेटिव सेगमेंट में मार्जिन राशि लेकर कई गुना ट्रेडिंग की सुविधा देते हैं। सेबी के नियमों के मुताबिक सभी ब्रोकरों को हर दिन ग्राहकों से मार्जिन राशि लेना और उनकी सूचना स्टॉक एक्सचेंज को देना जरूरी है। अगर डेरिवेटिव सौदों में शेयर का भाव नीचे आ जाता है तो निवेशक को उसके हिसाब से मार्जिन ढीला करना पड़ता है।
ब्रोकर फर्म एसएमसी ग्लोबल के रिसर्च प्रमुख जगन्नाधन तुनगुंटला का कहना है कि सेबी इस सर्कुलर के जरिए यह सुनिश्चित करना चाहती है कि ट्रेड के साथ मार्जिन मनी लेने का मेल बना रहे। उसमें कोई आगा-पीछा न चले ताकि कोई व्यवस्थागत चूक नही होने पाए।