निवेशकों के सौदों की सूचना हर दिन एक्सचेंजों को एसएमएस करनी होगी

स्टॉक एक्सचेंजों को दिन में कारोबार की समाप्ति पर निवेशकों को उनके नाम पर किए गए सौदे की जानकारी एसएमएस या ई-मेल से भेज देनी होगी। पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने मंगलवार को सभी स्टॉक एक्सचेंजों को भेजे गए एक सर्कुलर में यह हिदायत दी है। उसने कहा है कि यह काम जितना जल्दी से जल्दी हो, शुरू हो जाना चाहिए। लेकिन किसी भी हालत में इस पर अमल यह सर्कुलर जारी करने की तिथि के चार महीने के भीतर यानी 2 दिसंबर 2011 तक हो जाना चाहिए।

सेबी का कहना है कि उसे निवेशकों की तरफ से बराबर शिकायतें मिल रही हैं कि ब्रोकर उनके खातों से बिना उनसे पूछे मनमाने तरीके से अनधिकृत ट्रेडिंग कर रहे हैं। इन शिकायतों पर सेबी कुछ न कुछ करती रही है। अब इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए सेबी ने प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों और बाजार से जुड़े कारोबारियों से राय-मशविरा किया और अतिरिक्त उपाय के रूप में तय किया है कि कारोबारी दिन के अंत तक स्टॉक एक्सचेंज को निवेशक तक उसके सौदों की जानकारी एसएमएस या ई-मेल से भेज देनी होगी। यह फैसला कैश व डेरिवेटिव दोनों ही सेगमेंट के इक्विटी सौदों पर लागू होगा।

इस पर अमल के लिए स्टॉक एक्सचेंज स्टॉक ब्रोकरों को ऐसा प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएंगे, जहां वे अपने ग्राहकों की पूरी जानकारी अपलोड कर सकते हैं। इसमें ग्राहक के नाम-पते के साथ ही उसका मोबाइल नंबर और ई-मेल पता देना जरूरी है। यह सुनिश्चित करना ब्रोकर का काम होगा कि ग्राहक के नाम पर उसके कर्मचारी, सब-ब्रोकर या किसी दूसरे का मोबाइल नंबर व ई-मेल पता न दर्ज हो जाए। उन्हें यह भी देखना होगा कि हर क्लाएंट या ग्राहक का मोबाइल नंबर व ई-मेल अलग-अलग हो। लेकिन ग्राहक व उसके परिवार (पति-पत्नी, आश्रित बच्चों व माता-पिता) का ई-मेल पता व मोबाइल नंबर एक ही हो सकता है।

ब्रोकरों की तरफ से यह सारी जानकारी अपलोड कर देने के बाद एक्सचेंजों को इसकी सत्यता की पुष्टि करनी होगी। इसके लिए वे निवेशक के पते पर सीधे पत्र भी भेज सकते हैं। साथ ही ई-मेल व एसएमएस से भी जांच सकते हैं कि ब्रोकर द्वारा दिया गया विवरण सही है या नहीं। अगर निवेशकों को भेजा गया ई-मेल बाउंस होता है या एसएमएस व पत्र नियत पते पर नहीं पहुंचता तो एक्सचेंजों को इसके लिए ब्रोकर से जवाब-तलब करना होगा। निवेशकों से पुष्टि हो जाने के बाद एक्सचेंज उन्हें उनके सौदों की जानकारी पैन वगैरह जैसे विवरण के साथ एसएमएस व ई-मेल से भेजना शुरू कर देंगे।

सेबी का कहना है कि इस पर जो भी अतिरिक्त खर्च होगा, उसकी व्यवस्था स्टॉक एक्सचेंजों को कंपनियों से ली गई लिस्टिंग फीस से करना होगा। इस सर्कुलर पर अमल के लिए एक्सचेजों को जहां भी जरूरी हो, अपने नियमों में संशोधन कर लेना होगा। किसी भी सूरत में इस अमल चार महीने के भीतर हो जाना चाहिए। इस दिशा में हो रही प्रगति की जानकारी स्टॉक एक्सचेंजों को सेबी के पास अरनी मासिक रिपोर्ट में देते रहना होगा। बता दें कि अभी तक कैश सौदों की जानकारी डिपॉजिटरी की तरफ से खाते में शेयरों की लेन-देन के बाद एसएमएस के जरिए निवेशकों को भेजी जाती है।

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